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भारी मशीनों से नदियों को नोचता रहा माफिया

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सरकार का मुंह ताकती रही 'सिया', अधिकारियों ने बनाया स्टाफ की कमी का बहाना....

विशेष संवाददाता भोपाल

प्रदेश के जिन चार जिलों अनूपपुर, बालाघाट, पन्ना और सिंगरौली में राज्य पर्यावरण प्रभाव आंकलन प्राधिकरण (सिया) ने जिन शर्तों और नियमों के साथ रेत खदानों की अनुमति दी थी। ठेकेदारों ने उनमें से एक भी नियम का पालन नहीं किया। ठेकेदार नियम विरुद्ध भारी मशीनरी का उपयोग कर, नदियों की धारा रोककर और निर्धारित मानक से कहीं अधिक गहराई के गड्ढे कर बेहिसाब रेत उत्खनन करता रहा। कार्रवाई के अधिकारों से वंचित 'सिया' कार्रवाई को लेकर सरकार और स्थानीय प्रशासन का मुंह ताकती रही। वहीं खनिज विभाग स्टाफ की कमी का बहाना बनाकर कार्रवाई से बचता रहा।

रेत खनन पट्टे के लिए सफल बोलीदाताओं को राज्य पर्यावरण प्रभाव आंकलन प्राधिकरण (सिया) से पूर्व पर्यावरण स्वीकृति लेना आवश्यक है। सिया द्वारा जारी पर्यावरण स्वीकृति में विस्तृत निबंधन और शर्तें शामिल हैं, जिन्हें खनन गतिविधियों के दौरान पट्टेदार द्वारा पालन करना चाहिए। इन शर्तों में गड्ढे की औसत गहराई तीन मीटर या पानी के स्तर से अधिक नहीं होनी चाहिए। खनन गतिविधि को मानवीय रूप में किया जाना चाहिए। किरानों पर रेत भरने के लिए भारी वाहनों की अनुमति नहीं है। जलधारा में खनन की अनुमति नहीं है। किनारों पर वृक्षारोपण किया जाना चाहिए और स्थापित जलधारा को सरकाना, सुदृढ़ीकरण करना या परिवर्तित नहीं किया जाना आदि 'सिया' द्वारा निर्धारित शर्तों के उल्लंघन करने पर स्थानीय प्रशासन रेत खदानों के पट्टे निरस्त कर सकता है। प्रदेश के अनूपपुर, बालाघाट, पन्ना और सिंगरौली जैसे जिलों के 18 प्रकरणों में खनन गतिविधियों में भारी मशीनरी से खनन किया गया। खनन के लिए नदी की धारा को परिवर्तित कर और नदी में सडक़ निर्माण कर जल धारा में खनन कर नदी को भारी क्षति पहुंचाई। संबंधित जिला खनिज अधिकारियों ने जून 2016 और मार्च 2017 के बीच पट्टेदार ठेकेदारों को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किए। इनमें केवल जिला खनिज अधिकारी सिंगरौली ने तीन मामलों में दोषी ठेकेदारों की सुरक्षा निधि में से 1.62 लाख रुपये राजसात किए। जबकि शेष 15 मामलों में जिला खनिज अधिकारी ठेकेदारों की सहभागिता को प्रमाणित ही नहीं कर सके।

इस तरह विभाग ने रेत खनन के लिए पर्यावरण स्वीकृति के लिए सिया द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुपालन की निगरानी के लिए एक कुशल तंत्र विकसित नहीं किया। पर्यावरण संबंधी स्वीकृति से संबंधित मुद्दों पर निकट से निगरानी रखने और रेत खनन के लिए सिया द्वारा निर्धारित शर्तों पर नजर रखने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों से आश्वासन प्राप्त करने के लिए कोई भी समय सीमा निर्धारित नहीं की। इस कारण 'सिया' की स्थापना के उद्देश्य की पूर्ति सरकार नहीं कर सकी।

लेखापरीक्षा को विभाग ने बताया कि ऐसी अनियमितताओं पर निगरानी रखने और कार्रवाई करने में विफलता के लिए तंत्र विकसित कर सकता है। इस उद्देश्य के लिए विभाग पर्यावरणीय स्वीकृति से संबंधित मुद्दों की बारीकी से निगरानी करने के लिए आवधिक विवरणी निर्धारित कर सकता था।

Updated : 19 Feb 2019 2:40 PM GMT
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Naveen Savita

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