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सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाएं सुधारने एक्शन में आई सरकार

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सरकार ने शुरु की डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया

विशेष संवाददाता ♦ भोपाल

प्रदेश की कमलनाथ सरकार किसानों की कर्जमाफी और युवाओं को रोजगार देने के अपने वचन पर अमल शुरू करने के बाद बेहतर स्वास्थ्य को लेकर दिए गए अपने वचन को पूरा करने में जुट गई है। सरकारी अस्पतालों में बेहतर सुविधाएं देने में डॉक्टरों की कमी सबसे बड़ी अड़चन को दूर करने के लिए सरकार एक्शन मोड में आ गई है। प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के आला अधिकारियों के साथ विभागीय मंत्री तुलसी सिलावट की 15 दिन की मशक्कत के बाद राज्य लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) ने 1065 डॉक्टरों की भर्ती का विज्ञापन जारी कर दिया है।

विज्ञापन के अनुसार एमपीपीएससी 21 फरवरी से 5 मार्च तक पदों के लिए ऑनलाइन आवेदन स्वीकार करेगा। प्रदेश में सरकारी डॉक्टर बनने के लिए आवेदकों को प्रवेश परीक्षा से गुजरना होगा और बाद में अंतिम अंतिम चयन साक्षात्कार के जरिए होगा। मंत्री के निर्देशों के बाद स्वास्थ्य विभाग शुरूआत में डॉक्टर के बैकलॉग पदों को भर्ती कर रहा है। लोकसभा चुनाव के बाद डॉक्टरों की भर्ती के लिए वृहद स्तर का अभियान चलाया जाएगा। सरकार चाहती है कि लोकसभा चुनाव से पहले डॉक्टरों की भर्ती को लेकर ठोस कार्रवाई की जाए।

दवाओं की कमी की शिकायतों के लिए सीएमएचओ होंगे जिम्मेदार

स्वास्थ्य केंद्रों में दवाओं की कमी और इससे जुड़ी शिकायतों के लिए सीएमएचओ को जिम्मेदारी दी जा रही है। ऐसी कोई भी जानकारी या शिकायत आने पर सीधे उन पर कार्रवाई होगी। इस जिम्मेदारी के दायरे में सिविल सर्जन को भी लाया जा रहा है।

तीन हजार पद खाली

प्रदेश में डॉक्टरों के कुल सात हजार के पद हैं। फिलहाल लगभग तीन हजार डॉक्टरों के पद खाली हैं। महिला डॉक्टरों की बहुत कमी है। इसे दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पिछले साल 1 हजार 800 पदों पर राज्य लोकसेवा आयोग के जरिए भर्ती कराई थी, लेकिन सिर्फ 800 डॉक्टर मिले। इसमें भी करीब 200 ने ज्वाइनिंग ही नहीं दी।

इस साल सेवानिवृत होंगे 174 डॉक्टर

प्रदेश में डॉक्टरों की कमी इस साल और बढ़ जाएगी। इसी साल प्रदेश में 174 डॉक्टर सेवानिवृत होने जा रहे हैं। प्रदेश में विशेषज्ञों के 3278 पदों में अभी 1029 कार्यरत हैं। इस साल सेवानिवृत होने वाले 174 डॉक्टरों में करीब 100 विशेषज्ञ हैं। इस तरह अस्पतालों में लगभग 900 विशेषज्ञ डॉक्टर ही बचेंगे। छोटे जिलों में जहां किसी विषय में एक ही विशेषज्ञ हैं वहां उनके सेवानिवृत होने के बाद मरीजों को ज्यादा परेशानी होगी।

400 केन्द्रों में डॉक्टर नहीं

नए डॉक्टरों की भर्ती से ऐसे अस्पतालों में फिर से इलाज मिलने लगेगा जो डॉक्टर नहीं होने से सालों से सिर्फ नाम के लिए चल रहे हैं। प्रदेश में करीब 400 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र व कुछ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बिना डॉक्टर के हैं। इन अस्पतालों में सभी सुविधाएं होने के बाद भी डॉक्टर नहीं होने की वजह से मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है।

एक तिहाई डॉक्टर ही मिल पा रहे हैं

2010 में स्वास्थ्य अधिकारियों के 1090 पदों के विरुद्ध 570 डॉक्टर ही मिले थे। इसके बाद करीब 200 डॉक्टर पीजी करने या फिर मनचाही पोस्टिंग नहीं मिलने पर नौकरी छोड़ दी। 2013 में 1416 पदों पर भर्ती में 865 डॉक्टर मिले, लेकिन करीब 200 ने ज्वाइन नहीं किया और उतने ही नौकरी छोडक़र चले गए। इसी तरह से 2015 में 1271 पदों में 874 डॉक्टर मिले हैं।

इनमें भी 218 डॉक्टरों ने ज्वाइन नहीं किया। कुछ पीजी करने चले गए और कुछ ने नौकरी छोड़ दी। करीब 400 डॉक्टर ही मिल पाए। 2015 में ही 1871 पदों के लिए भर्ती शुरू हुई थी। मार्च 2017 में साक्षात्कार के बाद रिजल्ट जारी किए गए।

Updated : 18 Feb 2019 4:20 PM GMT
author-thhumb

Naveen Savita

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