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मुख्यमंत्री के क्षेत्र में खजाने को करोड़ों का चूना

मुख्यमंत्री के क्षेत्र में खजाने को करोड़ों का चूना
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लुटता रहा खजाना, मौन रहे अधिकारी... काली सूची में नहीं डाले गए दोषी खनिज ठेकेदार...

विशेष संवाददाता भोपाल

मुख्यमंत्री कमलनाथ के लोकसभा क्षेत्र छिंदवाड़ा में ई-नीलामी में ऊंची बोली लगाकर रेत खदानें कब्जाने वाले खनिज ठेकेदारों ने विगत दो वर्षों में नीलामी शर्तें तोडक़र राजकोष को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया। विभाग ने इन ठेकेदारों की सुरक्षा निधि राजसात कर इतिश्री कर ली तथा तीन से पांच महीनों में फिर से इन खदानों की आधी दर पर नीलामी कर दी। सरकार बदल जाने के बावजूद अब तक काली सूची में नहीं डाले जाने से इन खनिज ठेकेदारों के हौंसले अब तक बुलंद बने हुए हैंं।

अक्टूबर 2015 और मई 2016 के बीच छिंदवाड़ा में हुई ई-नीलामी के दौरान पांच रेत खदानों में 6.23 करोड़ के आरक्षित मूल्य के विरुद्ध खनिज ठेकेदारों ने 46.71 करोड़ की वार्षिक बोली लगाई। कुछ समय तक रेत का बेहिसाब उत्खनन करने के बाद सफल बोलीदाता अनुबंध का पालन नहीं कर सके। विभाग ने इन ठेकेदारों की जमा 62.34 लाख रुपये सुरक्षा निधि को राजसात कर लिया और तीन से पांच महीने बाद इन खदानों की 20.10 करोड़ रुपये में पुन: नीलामी कर दी। हालांकि इस घटनाक्रम के बाद सरकार ने सुरक्षा जमा की नीलामी मूल्य को 25 प्रतिशत तक बढ़ा दिया।

लेखा परीक्षा ने शासन के इस स्पष्टीकरण को खारिज करते हुए अनुशंसा की कि विभाग को या तो सुरक्षा जमा आरक्षित मूल्य के बराबर बढ़ाना चाहिए या भविष्य में बोली प्रक्रिया में भाग लेने से इस तरह की प्रथाओं को हतोत्साहित करने के लिए ऐसे दोषी ठेकेदारों को काली सूची में डालना चाहिए।

जिलाधीशों की मनमर्जी से 3.37 करोड़ का नुकसान

मार्च 2013 एवं नवम्बर 2014 की गौण खनिज नीलामी के लिए बालाघाट की 19 और उज्जैन की 12 रेत खदानों रेत की अनुमानित मात्रा का अनुमान लगाए बिना स्थानीय जिलाधीशों ने अनिवार्य किराए के आधार पर आरक्षित मूल्य 1.31 करोड़ तय किया। जबकि बालाघाट में रेत की मात्रा 10.39 लाख घनमीटर और उज्जैन में 67,830 घनमीटर थी। इसके आधार पर रेत की 100 रुपये प्रति घनमीटर की रॉयल्टी की दर से 11.07 करोड़ पर आरक्षित मूल्य तय किया जाना चाहिए था। इस प्रकार कम आरक्षित मूल्य के निर्धारण के कारण नीलामी राशि कुल 7.70 करोड़ वसूल हुई। इससे राजकोष को 3.37 करोड़ कम राजस्व मिल सका। हालांकि संचालक, भौमिकी एवं खनिकर्म ने उपलब्ध खनिज की अनुमानित मात्रा के आधार पर मूल्य निर्धारित किए जाने का आदेश दिया था।

141 करोड़ रॉयल्टी नहीं वसूल सका विभाग

49 रेत खदानों में अनुबंध राशि का कम मूल्यांकन/वसूली, विलंबित भुगतान पर ब्याज कम लगाए जाने एवं अनियमित अस्थायी परमिट जारी करने के कारण राजकोष में 4.68 करोड़ कम प्राप्त हुए। इसके अलावा रेत की अनुबंधित मात्रा के कम खनन के कारण 136.69 करोड़ की रॉयल्टी की हानि हुई। इसी प्रकार व्यापारिक खदानों से आय के रजिस्टर के संधारण में जिला खनिज अधिकारियों की विफलता के कारण 1.38 करोड़ की अनुबंध राशि की कम वसूली हुई और 2.35 करोड़ के ब्याज की कम प्राप्ति हुई।

2.35 करोड़ ब्याज पचा गए खनिज ठेकेदार

मप्र गौण खनिज नियमों और अनुबंध की मानक शर्तों में स्पष्ट रूप से उल्लेखित था कि ठेकेदार निर्धारित दिनांक से एक महीने से अधिक तक अनुबंध राशि का भुगतान करने में असफल रहता है तो अनुबंध रद्द कर दिया जाएगा और खदान फिर से नीलाम की जाएगी। इसके अलावा चूक की अवधि के लिए 24 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज लगाया जाएगा। प्रदेश के पांच जिला खनिज कार्यालयों में 18 ठेकेदारों ने अप्रेल 2016 और जनवरी 2017 की अवधि के लिए 1.79 करोड़ की देय राशि के विरुद्ध केवल 40.53 लाख की अनुबंध राशि चुकाई थी, इसके वरिणाम स्वरूप 1.31 करोड़ की कम वसूली हुई। विभाग ने अनुबंध रद्द करने और पुन: नीलामी की कार्रवाई नहीं की। इसी प्रकार आठ जिला खनिज कार्यालयों में व्यापारिक खदानों के 36 ठेकेदारों ने अनुबंध राशि के भुगतान में 8 से 391 दिनों की देरी की, जिस पर उन्होंने भुगतान योग्य 2.49 करोड़ की राशि के विरुद्ध 13.76 लाख का ब्याज चुकाया था। विभाग ने 2.35 करोड़ के ब्याज के अंतर की राशि की वसूली के लिए मांग पत्र जारी नहीं किए।

खनिज राजस्व वसूली में रेत खदानों से वसूली में अनियमितताओं जैसी जानकारी आपके माध्यम से मिली है। मैं सीएजी रिपोर्ट की कंडिका का अध्ययन करता हूँ। इसके बाद ही कुछ प्रतिक्रिया दे पाऊंगा।'

विनीत ऑस्टिन

संचालक-संचालनालय भौमिकी एवं खनिकर्म मध्यप्रदेश

Updated : 17 Feb 2019 3:48 PM GMT
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Naveen Savita

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