विनोद दुबे ♦ भोपाल
भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश एवं राज्य निर्वाचन आयोग के आदेश के परिपालनन में वाणिज्यकर विभाग द्वारा पूर्व में नियुक्त राज्य नोडल अधिकारी शिवराज वर्मा को हटाकर इस पद के लिए अयोग्य और 12 वर्षों से राजधानी में ही पदस्थ आबकारी उपायुक्त वीरेन्द्र कुमार सक्सेना को राज्य नोडल अधिकारी बना दिया। खास बात यह है कि भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों के प्रतिकूल हुई इस नियुक्ति को न तो अधिकारी अनुचित मानते हैं और न ही मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी व्ही.एल.कांताराव को इस पर आपत्ति है।
आगामी लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारियों के क्रम में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा 21 दिसम्बर 2018 को सभी प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों को जारी आदेश में स्पष्ट रूप से निर्देशित किया है कि मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में निर्वाचन व्यय निगरानी के लिए एवं प्रदेश पुलिस विभाग व आबकारी विभाग से नोडल ऑफीसर नियुक्त किए जाएं, जो अपर अथवा संयुक्त मुख्य कार्यपालिक अधिकारी से नीचे की श्रेणी (रेंक) के नहीं होना चाहिए। आदेश में कहा गया है कि नियुक्त राज्य नोडल अधिकारी पुलिस में पुलिस महानिरीक्षक अथवा समकक्ष एवं आबकारी विभाग से आयुक्त अथवा समकक्ष श्रेणी से होना चाहिए। भारत निर्वाचन आयोग के इस पत्र के परिपालन में आबकारी विभाग से तत्कालीन राज्य नोडल अधिकारी शिवराज वर्मा (अपर आयुक्त आबकारी) को हटाकर 17 जनवरी 2019 को उनके स्थान पर वीरेन्द्र कुमार सक्सेना (उपायुक्त आबकारी) की राज्य नोडल अधिकारी के पद पर नियुक्ति कर दी गई। वीरेन्द्र कुमार सक्सेना पर विभाग इतना मेहरबान है कि वर्ष 2006 से वह लगातार राजधानी भोपाल में ही पदस्थ हैं। लोकसभा चुनावों में किसी राजनीतिक दल अथवा प्रत्याशी की आपत्ति के बाद भी निर्वाचन आयोग उनका भोपाल से अन्य जिले में स्थानांतरण न कर सके, इसलिए उन्हें राज्य नोडल अधिकारी बना दिया गया।
शिवराज वर्मा को हटाए जाने का कारण बताया गया कि चूंकि मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के आर्देशानुसार राज्य नोडल अधिकारी का मुख्यालय पर ही रहना आवश्यक है, इस कारण उन्हें हटाकर उपायुक्त को इस पद पर बैठाया गया। लेकिन ऐसी स्थिति में जब राजधानी में अपर आयुक्त श्रेणी के दो अधिकारी विनोद रघुवंशी (अपर आयुक्त, प्रभारी राज्य उडऩदस्ता) और उप सचिव वाणिज्यिक कर अदिति कुमार त्रिपाठी मौजूद हैं। वहीं वरिष्ठ श्रेणी के अपर आयुक्त मुकेश नेमा सहित प्रदेशभर में कई वरिष्ठ अधिकारी इस पद श्रेणी के मौजूद हैं। लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों को छोडक़र उपायुक्त स्तर के कनिष्ठ और राज्य नोडल अधिकारी के लिए अनुपयुक्त अधिकारी को इस पद पर पदस्थ कर दिया गया।