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हत्या से अधिक सड़क हादसों में ज्यादा मौत

हत्या से अधिक सड़क हादसों में ज्यादा मौत
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पुलिस को चालानी कार्रवाही से ज्यादा लोगों में जागरुकता लाने की जरूरत

भोपाल। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सड़क दुर्घटना और इनमें होने वाली भयावह मौत के ग्राफ में कमी लाने के लिए पांच बिन्दुओं पर काम कराने के दिए गए निर्देश के बाद भी प्रदेश मे सड़क हादसों में मृतकों की संख्या में कमी नहीं आ रही है।

हालांकि दुर्घटनाओं के आंकड़ों में कमी जरूर आ रही है। प्रदेश में सड़क हादसों में हर दिन औसतन 28 लोगों की जान जा रही है तो 158 लोग घायल हो रहे हैं। दुर्घटनाओं में मौत का यह आंकड़ा प्रदेश में हर साल होने वाली हत्याओं से चार गुना ज्यादा है। आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में आनलाइन रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या 1 करोड़ 53 लाख है, जबकि हर साल दो लाख वाहन रजिस्टर्ड हो रहे हैं। प्रदेश देश के मध्य में स्थित होने के कारण यहां चारों तरफ के राज्यों से वाहन गुजरते हैं। प्रदेश में सडक़ों की लंबाई 1 लाख 53 हजार किमी है। अगर पिछले साल की दुर्घटनाओं के आंकड़े देखे जाएं तो इनकी संख्या 53972 थी। इनमें 57532 लोग घायल हुए तो मृतकों की संख्या 10172 थी। इस तरह हर दिन 28 लोग दुर्घटनाओं में मारे जा रहे हैं तो 158 घायल हो रहे हैं। प्रदेश में हर साल औसतन 2500 हत्या की घटनाएं होती हैं। हालांकि पिछले साल दुर्घटनाओं में 4.5 प्रतिशत और घायलों की संख्या में करीब 5.4 प्रतिशतकमी आई है।

यह है बल की स्थिति

प्रदेश में यातायात पुलिस में करीब पांच हजार अधिकारी-कर्मचारियों का बल स्वीकृत है। वर्तमान में करीब 2400 का स्टाफ भी उपलब्ध है। जिलों में पुलिस अधीक्षकों पर निर्भर रहता है कि वे यातायात में कितने अधिकारी-कर्मचारी तैनात करें। दरअसल, पुलिस अधीक्षक की प्राथमिकता आपराधिक घटनाओं में कमी लाने की रहती है, इस कारण यातायात नियंत्रण को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती। पुलिस मुख्यालय में यातायात प्रबंधन के लिए अलग से कोई शाखा नहीं है। पीटीआरआई ही प्रशिक्षण के साथ प्रदेश की यातायात व्यवस्था को केन्द्रित करती है। सूत्रों का कहना है कि यातायात की स्वतंत्र एजेंसी बनाने से व्यवस्था में सुधार आएगा।

जागरुकता की जरूरत

यातायात अधिकारियों का कहना है कि पुलिस को चालानी कार्रवाही से ज्यादा लोगों में जागरुकता लाने की जरूरत है। इसके लिए एनजीओ से लेकर सरकारी दस विभाग अपनी जिम्मेदारी का पालन करें तो दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सकती है। सर्वोच्च न्यायालय कमेटी ऑन रोड सेफ्टी ने पांच कैटेगरी शराब पीकर वाहन चलाने, माल वाहनों में यात्रियों को बैठाने, निर्धारित गति सीमा से अधिक गति से वाहन चलाने, वाहन चलाते हुए मोबाइल फोन पर बात करने और सिग्नल का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इनका पालन कराने से भयावह हादसों में कमी लाई जा सकती है।

Updated : 8 Feb 2019 3:53 PM GMT
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Naveen Savita

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