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ठेके तो दे दिए लेकिन परेशानियां दूर नहीं कर रही मप्र सरकार

रेत ठेकेदारों ने खनिज विभाग के प्रमुख सचिव को गिनाईं समस्याएं

ठेके तो दे दिए लेकिन परेशानियां दूर नहीं कर रही मप्र सरकार
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भोपाल, विशेष संवाददाता । रेत घाटों पर पंचायतों का कब्जा, रास्तों में दबंगों और पुलिस द्वारा अवैध वसूली, आवंटित रेत घाटों पर अवैध रूप से किए गए गहरे गड्ढे और जारी अवैध रेत उत्खनन जैसी कई समस्याएं हैं, जिन्हें दूर किया जाना है। पिछली बैठक में खनिज मंत्री को भी इन दिक्कतों से अवगत कराया था, लेकिन सरकार ने अब तक इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया है। मध्यप्रदेश के विभिन्न 37 जिलों में उच्चतम बोली लगाकर रेत खनन के ठेके लेने वाले ठेकेदारों ने इस तरह की समस्याएं खनिज विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मण्डलोई को बताईं। उल्लेखनीय है कि विगत 15 जनवरी को खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल द्वारा रेत ठेकों से संबंधित आशय पत्र सफल बोलीकर्ता ठेकेदारों को जारी किए थे। उस समय भी इन रेत ठेकेदारों ने खनिज मंत्री के सामने अपनी समस्याएं रखी थीं। रेत ठेकेदार केपीएस भदौरिया ने खनिज मंत्री के समक्ष प्रस्ताव यह भी रखा था कि रेत घाट से लेकर मुख्य मार्ग के बीच के जिन रास्तों पर शासकीय भूमि है, वहां से वाहन निकलने पर दंबंगों द्वारा 500 से 1000 रुपये प्रति वाहन तक अवैध वसूली की जाती है। ऐसी स्थिति में उस निजी भूमि को शासन अधिग्रहित कर ले और उस भूमि की कुल कीमत की दोगुनी राशि ठेकेदार स्वयं देने को तैयार हैं। लेकिन शनिवार को प्रमुख सचिव को सौंपे इसी प्रस्ताव में उन्होंने भूमि की कीमत की तीन गुनी तक राशि किसान को देने की बात कही है। इसी प्रकार उन्होंने घाटों पर हो रहे अवैध उत्खनन को तुरंत रूकवाने, रेत घाटों का अधिपत्य पंचायतों से ठेकेदारों को दिलाने और दंबंगों व पुलिस द्वारा की जाने वाली अवैध वसूली को रोके जाने का अग्रह भी प्रमुख सचिव से किया। कुछ ठेकेदारों ने उनकी काले रंग की रेत को शासकीय ठेकों में उपयोग की अनुमति दिलाने का आग्रह किया तो राशि जमा कर चुके कुछ ठेकेदारों ने जल्द से जल्द अनुज्ञा पत्र जारी करने का आग्रह किया।

नए ठेकेदार अधिक परेशान

रेत कारोबार में भारी मुनाफे को देखते हुए इस बार कई ऐसे ठेकेदारों ने भी रेत ठेकों के लिए उच्चतम राशि के टेंडन डाले, जिन्होंने पहले कभी रेत कारोबार नहीं किया। हालांकि ऐसे ठेकेदारों ने कुछ ऐसे लोगों को सहभागी बनाया है जो रेत कारोबार से जुड़े रहे हैं। ऐसी स्थिति में रेत कारोबार में पहली बार उतरे ठेकेदार अधिक परेशान दिखाई दे रहे हैं क्योंकि इस धंधे में आने वाली परेशानियों और उनके समाधान के तरीकों से वे अवगत नहीं हैं। वहीं रेत कारोबार से जुड़े रहे पुराने ठेकेदार पर्यावरण सहित अन्य अनुज्ञप्तियों की प्रक्रिया शीघ्र पूरी कर रेत खनन चालू करने की तैयारी में हैं। पुराने कई ठेकेदारों ने तो उन्हें आवंटित घाटों पर अवैध उत्खनन रोकने के लिए लठैत और बंदूकधारी कर्मचारी भेजना भी शुरू कर दिया है।

बाबा से भी परेशान हैं रेत ठेकेदार

नर्मदा सहित अन्य कुछ नदियों में ऊंची बोली लगाकर रेत उत्खनन का ठेका ले चुके कुछ ठेकेदार कम्प्युटर बाबा के कारण तनाव में दिखाई दे रहे हैं। इन ठेकेदारों का कहना हैं कि बाबा के एजेंट उनसे संपर्क कर अवैध वसूली का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन चूंकि वह करोड़ों, अरबों की बोली लगा चुके हैं। ऐसे में बाबा-जोगियों को बांटेंगे तो उन्हें घाटा हो जाएगा। परेशान ठेकेदार अब खनिज मंत्री और मुख्यमंत्री से बाबा की शिकायत करने का मूड़ बना रहे हैं। वहीं कुछ ठेकेदार बाबा की पुरानी कुंडली निकालकर उसे उजागर करने की भी तैयारी कर रहे हैं।

रेत ठेकेदारों की समस्याओं का शीघ्र निराकरण: मंत्री

खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल ने खनिज अधिकारियों एवं रेत ठेकेदारों की संयुक्त बैठक में कहा कि खदान संचालन के लिए समस्त कार्रवाई शीघ्र पूरी करें। प्रदेश में रेत नियम-2019 के अन्तर्गत निविदा की कार्रवाई पूर्ण हो चुकी है। सभी ठेकेदार एलओआई संबंधी समस्त औपचारिकाएं पूरी करें।

मंत्री श्री जायसवाल ने बताया कि वर्तमान में पंचायतों की खदानें नवीन ठेकेदारों के नाम जारी करने के लिए राज्य शासन द्वारा निर्देश जारी किए जा चुके हैं। राज्य खनिज निगम के नाम पर उपलब्ध वैधानिक स्वीकृति की कार्रवाई पर्यावरण स्वीकृति कि लिए सिया में प्रचलन में है। मंत्री श्री जायसवाल ने रेत ठेकेदारों से अपेक्षा की कि वे अपने जिले के ठेके के संचालन तथा वैधानिक अनुमतियां प्राप्त करने तथा अनुबंध आदि के संबंध में समस्त सुझाव लिखित में दें। उन्होंने कहा कि यदि अत्यन्त आवश्यक हो, तो रेत का अवैध परिवहन रोकने के लिए जिला प्रशासन के सहयोग से ऐसे दो-तीन स्थानों पर नाके अवश्य स्थापित करें। उन्होंने कहा कि खनिज ठेकेदारों की समस्याओं का शीघ्र निराकरण किया जाएगा। प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने कहा कि सभी ठेकेदार एलओआई शीघ्र प्राप्त करें। राज्य खनिज निगम के कार्यकारी निदेशक दिलीप कुमार ने बताया कि अभी तक 32 जिलों द्वारा उच्चतम बोली की राशि जमा की जा चुकी है। शेष होशंगाबाद, सीहोर, रायसेन, अशोकनगर, मंडला एवं डिण्डोरी जिलों द्वारा भी यह राशि जल्द ही जमा की जाएगी।

Updated : 2 Feb 2020 12:28 PM GMT
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