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एमपी में कांग्रेस सरकार के लिए भाजपा से ज्यादा 'अपने' ही बने मुसीबत, महाराष्ट्र को लेकर भी उठाए सवाल

एमपी में कांग्रेस सरकार के लिए भाजपा से ज्यादा अपने ही बने मुसीबत, महाराष्ट्र को लेकर भी उठाए सवाल
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भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के लिए विरोधी दल भारतीय जनता पार्टी से ज्यादा 'अपने' ही यानी कांग्रेस के नेता ही मुसीबतें खड़ी करने में लगे हैं। पार्टी लगातार हिदायतें दे रही है, मगर किसी पर कार्रवाई करने का साहस नहीं दिखा पा रही है, यही कारण है कि मुसीबतें खड़ी करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है।

राज्य में कांग्रेस को सत्ता में आए 11 माह से ज्यादा हो गया है। सरकार को पूर्ण बहुमत नहीं है। हां, संख्या बल के लिहाज से कुल विधायकों की संख्या के मुकाबले आधे विधायक उसके पास हैं। सरकार की ताकत दूसरे दलों के विधायकों का समर्थन है। समर्थन देने वाले विधायक भी गाहे-बगाहे सरकार को घेरते रहते हैं, मगर सबसे ज्यादा दिक्कत तो उसके दल के नेता ही खड़ी किए हुए हैं।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह लगातार सरकार के सामने सवाल खड़े करते रहते हैं। पहले उन्होंने किसानों के दो लाख रुपए तक का कर्ज माफ न होने का मसला उठाया, फिर चाचौड़ा को जिला बनाए जाने की मांग को लेकर अपने भाई दिग्विजय सिंह के आवास पर ही धरना दे दिया। वे यहीं नहीं रुके, महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ सरकार बनाने पर भी सवाल खड़े किए हैं। लक्ष्मण सिंह ने ट्वीट किया है, "महाराष्ट्र का राजनीतिक घटनाक्रम हर घड़ी बदल रहा है रूप, 'राजनीति' छांव है कभी, कभी है धूप। 'राजनीति', हर पल यहां खूब 'खाओ', जो है समां कल हो न हो।"

इससे पहले, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किसानों का दो लाख तक का कर्ज माफ न होने का मसला उठाया, उसके बाद तबादलों को लेकर सवाल खड़े किए। इतना ही नहीं, समस्याओं को लेकर वे मुख्यमंत्री को पत्र लिख रहे हैं। साथ ही उनके ट्विटर का स्टेटस बदलने पर भी खूब सियासी हलचल मची।

शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा से विधायक सुरेश राठखेड़ा ने सिंधिया के प्रति स्वामी भक्ति दिखाने में कोई हिचक नहीं दिखाई। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि अगर सिंधिया नई पार्टी बनाते हैं तो उनके साथ जाने वालों में सबसे पहले उनका नाम होगा। इस पर भी राज्य की सियासत में हलचल मची।

कांग्रेस के मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा का कहना है कि कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है, सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है, मगर सीमाओं में रहकर। सभी के बयानों पर पार्टी की नजर है।

राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र व्यास का कहना है कि कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं है और इस बात का पार्टी के असंतुष्ट लोग भी लाभ उठाने की कोशिश करते हैं। कई नेता अनजाने में जनता की बात कहकर सरकार की मुसीबत बढ़ा देते हैं, ऐसे में कांग्रेस भी सख्त रुख नहीं अपना सकती, क्योंकि सख्ती से नुकसान होने का अंदेशा है।

Updated : 1 Dec 2019 12:53 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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