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5वीं के 75% छात्र हिंदी वर्णमाला तक नहीं पढ़ पाते

सीएजी की रिपोर्ट में खुलासा, प्रदेश के 51 फीसदी छात्र हिंदी नहीं लिख सकते

5वीं के 75% छात्र हिंदी वर्णमाला तक नहीं पढ़ पाते
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भोपाल। शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के छह साल बाद भी मप्र सरकार सभी को शिक्षा देने का लक्ष्य प्राप्त करने में विफल रही है। जानबूझकर सरकारी शिक्षा तंत्र को खत्म किया जा रहा है। 2010 से 2016 के बीच 7284 करोड़ का बजट जारी ही नहीं किया गया, जो बजट जारी किया गया उसमें से भी 1200 करोड़ सरकार द्वारा खर्च नहीं किया गया। यही कारण है कि सरकारी स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के शिक्षा स्तर में गिरावट आई है। सीएजी की रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट में सामने आया है कि 84 प्रतिशत बच्चे 8वीं में होने के बावजूद 1-9 तक के नंबर तक नहीं पहचान पा रहे हैं और 51 प्रतिशत छात्र हिंदी लिख-पढ़ नहीं पाते हैं।

1 से 9 तक के नंबर नहीं जानते

सरकारी स्कूली शिक्षा में पढ़ रहे 5वीं के 75 प्रतिशत छात्र हिंदी वर्णमाला को पढऩे लिखने में अक्षम हैं और 77 प्रतिशत छात्र 1 से 9 तक के नंबर तक नहीं पहचान पा रहे हैं। रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि 2010-11 से 2015-16 के बीच खराब शिक्षा प्रणाली के चलते प्रदेश के 42.86 लाख छात्रों ने पढ़ाई छोड़ दी।

शिक्षकों की भारी कमी

प्रदेश में शिक्षकों की भारी कमी है। 2016 मार्च तक प्रदेश में 63,851 से पद खाली हैं। प्राथमिक शाला में 37,933 पद खाली है और माध्यमिक शाला में 25,918 पद खाली हैं, और तो और जिन शिक्षकों की भर्ती 2010 से 2016 के बीच की गई है उनमें से ज्यातर को प्रशिक्षण नहीं दिया गया है।

यह है हालात

ठ्ठ प्रदेश के 18, 213 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक है।

ठ्ठ 22,987 स्कूलों में छात्र/कक्षा का अनुपात खराब है।

ठ्ठ 32,703 स्कूलों में छात्र/शिक्षक अनुपात खराब है।

ठ्ठ 70प्रतिशत बच्चों में खून की कमी है, 45 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं।

ठ्ठ मप्र में रिजल्ट 48प्रतिशत आता है दिल्ली में रिजल्ट 93प्रतिशत आया।

Updated : 16 July 2018 10:44 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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