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अभिभावक बाजार से पुस्तकें, गणवेश, टाई और जूते क्रय करने के लिए होंगे स्वतंत्र

प्रदेश के निजी स्कूल अब अपने परिसर में कापी-किताबों की आउटलेट या छोटी दुकान खोल सकेंगे, लेकिन छात्र या अभिभावक खुले बाजार से पुस्तकों, यूनिफार्म, टाई, जूते, कॉपी आदि क्रय करने के लिए स्वतंत्र होंगे।

अभिभावक बाजार से पुस्तकें, गणवेश, टाई और जूते क्रय करने के लिए होंगे स्वतंत्र
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अब निजी स्कूल परिसर में खोल सकेंगे किताबों की दुकान

भोपाल | प्रदेश के निजी स्कूल अब अपने परिसर में कापी-किताबों की आउटलेट या छोटी दुकान खोल सकेंगे, लेकिन छात्र या अभिभावक खुले बाजार से पुस्तकों, यूनिफार्म, टाई, जूते, कॉपी आदि क्रय करने के लिए स्वतंत्र होंगे। मप्र निजी विद्यालय फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन अधिनियम 2017 के तहत ताजा बनाए नियमों को जारी कर दिया गया है तथा इन पर अमल आगामी 26 जुलाई के बाद प्रारंभ हो जाएगा।

नियमों में कहा गया है कि निजी विद्यालय राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद/मप्र पाठ्यपुस्तक निगम या केवल अन्य सरकारी प्रकाशनों द्वारा प्रकाशित पाठ्यपुस्तकों की आपूर्ति के लिए विद्यालय परिसर में एक आउटलेट या छोटी दुकान खोल सकेंगे। लेकिन छात्र या अभिभावक खुले बाजार से पुस्तकों, यूनिफार्म, टाई, जूते, कॉपी आदि क्रय करने के लिए स्वतंत्र होंगे। छात्र या अभिभावक से या केवल चयनित विक्रेताओं से इन वस्तुओं को खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। यूनिफार्म को छोडकऱ किसी भी उपरोक्त सामग्री पर विद्यालय का नाम उल्लेखित नहीं किया जाएगा। स्कूल प्रबंधन यूनिफार्म को कम से कम पांच वर्षों तक नहीं बदल सकेगा। अधिनियम 2017 के तहत ताजा बनाए नियमों में अन्य प्रावधान भी किए गए है । फीस को लेकर भी स्थिति स्पष्ट की गई है। नए नियमो के तहत अब निजी स्कूलों द्वारा सालाना फीस में दस प्रतिशत से कम वृध्दि की जाती है, तो इसे स्वीकार कर लिया जाएगा।

नियमों में कहा गया है कि यदि फीस में प्रस्तावित वृध्दि पिछले वर्ष की फीस के 10 प्रतिशत के भीतर है और निजी विद्यालय द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों में कोई विसंगति नहीं है या निजी विद्यालय के विरुध्द अधिक फीस प्राप्त करने की कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है, तो कलेक्टर की अध्यक्षता वाली जिला समिति, निजी विद्यालय की प्रस्तावित फीस संरचना स्वीकार करेगी।इसी प्रकार, यदि फीस में प्रस्तावित वृध्दि पिछले वर्ष की फीस के 10 प्रतिशत से अधिक किन्तु 15 प्रतिशत से कम है, तो जिला समिति, फीस वृध्दि की मात्रा तय करने के लिए अधिकृत होगी। यदि फीस में प्रस्तावित वृध्दि पिछले वर्ष की फीस के 15 प्रतिशत से अधिक है, तो प्रस्ताव प्राप्त करने के 7 दिनों के भीतर जिला समिति अपनी टिप्पणी के साथ उक्त प्रस्ताव को आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय की अध्यक्षता में बनी राज्य समिति को प्रेषित करेगी। जिला समिति और राज्य समिति को प्रस्ताव प्राप्त होने के बाद 45 दिन के अंदर फीस के संबंध में निर्णय लेना जरुरी होगा।

कानून व नियम बनने का सफर

मप्र निजी विद्यालय फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन विधेयक 2017 विधानसभा में 30 नवम्बर 2017 को प्रस्तुत हुआ था जिसे विधानसभा में 4 दिसम्बर 2017 को पारित किया गया। 18 जनवरी 2018 को राज्यपाल ने इसे मंजूरी दी जिससे यह अधिनियम बन गया। स्कूल शिक्षा विभाग ने इसके बाद 22 फरवरी 2018 से अधिनियम को प्रभावशील कर दिया। अधिनियम को अमल में लाने हेतु अब इसके नियम जारी किए गए हैं। आगामी 26 जुलाई के बाद ये नियम पूरे प्रदेश में प्रभावशील हो जाएंगे।

अधिक फीस लेने पर छह लाख तक लगेगा जुर्माना

नियमों में प्रावधान किया गया है कि यदि निजी विद्यालय ने अधिक फीस वसूली है तो जिला समिति अधिक फीस को संबंधित छात्र या अभिभावक को वापस करने का पहला आदेश देगी जिसमें दो लाख रुपए का अलग से जुर्माना भी देना होगा। यदि पहले आदेश का पालन नहीं होता है तो जिला समिति पुन: दूसरा आदेश फीस वापसी हेतु देगी जिसमें चार लाख रुपए का जुर्माना भी देना होगा। इसके बाद भी आदेश का पालन नहीं होता है तो हर अगले आदेश के साथ छह लाख रुपए का जुर्माना देना होगा। प्रायवेट स्कूलों द्वारा ली जाने वाली मनमानी फीस पर अंकुश लगाने के लिए संबंधित कानून के तहत प्रारुप नियम जारी कर दिए गए हैं जिन पर 26 जुलाई 2018 के बाद अमल प्रारंभ हो जाएगा।

-केके द्विवेदी, उप सचिव,

स्कूल शिक्षा विभाग मप्र



Updated : 2 July 2018 1:27 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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