आर्थिक रूप से कमजोर तबके को आरक्षण देने वाला उप्र बना तीसरा राज्य
करीब डेढ़ करोड़ आबादी को मिलेगा फायदा, राज्य में 14 जनवरी से प्रभावी होगा
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों के लिये दस फीसदी आरक्षण लागू करने का ऐतिहासिक निर्णय करके एक बड़े तबके को बड़ी राहत दी है। अर्से से उठ रही इस मांग को पूरी करते हुये योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को इसे लागू करने को हरी झंडी दी। राज्य की कुल करीब 22 करोड़ की आबादी में सामान्य वर्ग की जनसंख्या ढाई करोड़ से अधिक है। इस व्यवस्था के लागू होने के साथ ही इससे करीब डेढ़ करोड़ आबादी को लाभ मिलेगा।
उत्तर प्रदेश से पहले गुजरात और झारखंड ने इसे लागू किया है। तीनों ही राज्य भाजपा शासित हैं। लोकसभा ने इस सम्बन्ध में गत आठ जनवरी को विधेयक पारित किया था जबकि दूसरे दिन यह राज्य सभा से पारित हो गया था। बारह जनवरी को राष्ट्रपति ने इसे अनुमोदित कर दिया था। मोदी सरकार ने इस सम्बन्ध में विधेयक पारित कराने में पूरी ताकत लगा दी थी। यहां तक कि राज्य सभा की कार्यवाही एक दिन के लिये बढ़ाई गयी थी। आरक्षण की इस व्यवस्था के लागू हो जाने पर सभी श्रेणी की सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिये इस वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा। राज्य सरकार का यह फैसला 14 जनवरी से प्रभावी होगा।
विपक्षी इसे चुनावी स्टंट बता रहे हैं, तो सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने इसे ऐतिहासिक और गरीबों के लिये संजीवनी वाला कदम करार दिया है। प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि सरकार की मंशा साफ नहीं है। आरक्षण की इस व्यवस्था के प्रति यदि भाजपा की नीयत साफ होती तो इसे चुनाव के ऐन मौके के बजाय और पहले लाया जाता। सरकार ने एक तबके को लॉलीपाप देने की कोशिश की है लेकिन भाजपा को इससे कोई फायदा होने वाला नहीं है। जनता सब समझती है।
वहीं, कुछ लोग इसे एससी-एसटी एक्ट में संशोधन से नाराज सवर्णों को मनाने की कोशिश मात्र मानते हैं। ऐसे लोगों का कहना है कि इसे डैमेज कन्ट्रोल भी कहा जा सकता है। हालांकि भाजपा के प्रदेश महासचिव विजय बहादुर पाठक कहते हैं कि आरक्षण की इस व्यवस्था को पूरे देश में लागू कराने की कोशिश से साबित होता है कि मोदी सरकार 'सबका साथ-सबका विकास' के सिद्धान्त पर कायम है।
प्रधानमंत्री बनते ही उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार गरीबों के लिये होगी। आर्थिक आधार पर आरक्षण का कानून बनवाकर उन्होंने इसे साबित कर दिया। इससे गरीबों को बड़ी राहत मिली है। अब उनके बच्चे भी आईआईटी जैसे संस्थानों में आरक्षण का लाभ पाकर प्रवेश पा सकेंगे।(हि.स.)
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