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उन्नाव रेप केस : भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सेंगर को उम्रकैद और 25 लाख जुर्माना

- दुष्कर्म पीड़ित युवती के साथ रायबरेली में हुई सड़क दुर्घटना के बाद चर्चित हुआ था मामला - सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उन्नाव से तीस हजारी कोर्ट लाया गया था मुकदमा

उन्नाव रेप केस : भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सेंगर को उम्रकैद और 25 लाख जुर्माना
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नई दिल्ली। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने उन्नाव रेप मामले में दोषी करार दिए गए विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। इसमें से पीड़ित को 10 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर दिए जाएंगे।

आज सुनवाई के दौरान कुलदीप सिंह सेंगर का चुनावी हलफ़नामा कोर्ट में पेश किया गया। इसके अलावा कुलदीप सिंह सेंगर के राजनीतिक करियर के बारे में भी कोर्ट को बताया गया। सुनवाई शुरू होने पर कोर्ट पूछा कि कुलदीप सिंह सेंगर कहां हैं? जज ने कहा कि आरोपित को कोर्ट में बुलाया जाए। सुनवाई के दौरान सेंगर के वकील ने कोर्ट से कहा कि सेंगर की पत्नी सेंगर की आमदनी पर निर्भर हैं। तब अभियोजन पक्ष ने कहा कि आप ऐसा कैसे कह सकते हैं, जब आपने सेंगर की पत्नी की आमदनी अलग दिखाई है। कोर्ट ने सेंगर के चुनावी हलफनामे को देखकर सेंगर के वकील से पूछा कि चल और अचल संपत्ति मिलाकर कुल 144 करोड़ की संपत्ति का हिसाब ठीक है न। तब सेंगर के वकील ने कहा कि हां ये सही है लेकिन संपत्ति के मूल्य में कमी आई है। सेंगर के वकील ने सेंगर के लोन की भी चर्चा की।

पीड़ित युवती के वकील धर्मेंद्र मिश्रा ने कोर्ट से कहा कि पीड़ित के परिवार की स्थिति को देखते हुए सेंगर को अधिकतम सजा दी जानी चाहिए। सेंगर एक लोकसेवक हैं और ऐसे में ये अपराध और गंभीर हो जाता है। धर्मेंद्र मिश्रा ने कहा कि दोषी ने अपने पद का दुरुपयोग किया, इसका भी ध्यान दिया जाना चाहिए। पीड़ित के वकील ने कहा कि इस मामले में उम्र कैद की सज़ा देनी चाहिए। तब कोर्ट ने उम्र कैद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के मारू राम बनाम भारत सरकार फैसले का हवाला देते हुए कहा कि उम्र कैद का मतलब उम्र कैद है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि हम रेमिशन के हिस्से में नहीं जाएंगे।

कुलदीप सिंह सेंगर की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के चार फैसलों का जिक्र किया गया। सेंगर के वकील ने कहा कि जब अपराध हुआ था, उस समय अगर कोई एक्ट नहीं था और बाद में कोई एक्ट बना तो उस केस में नए एक्ट के तहत सजा नहीं हो सकती है। पिछले 17 दिसम्बर को सीबीआई की ओर से मांग की गई थी कि कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा दी जाए। सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से वकील अशोक भारतेन्दु ने कुलदीप सिंह सेंगर की अधिकतम सजा की मांग की थी। उन्होंने श्याम नारायण बनाम दिल्ली सरकार केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा था कि दोषी को दया दिखाने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा था कि यह मामला एक व्यक्ति के सिस्टम के खिलाफ लड़ने की है। सीबीआई ने रेप पीड़ित को मुआवजे की मांग की थी। सीबीआई ने कहा था कि कोर्ट कुलदीप सेंगर की वित्तीय स्थिति देख सकती है। तब कोर्ट ने कहा था कि पीड़ित को 25 लाख रुपये का मुआवजा पहले ही दिया जा चुका है। यूपी सरकार ने यह रकम उसे पहले ही दे रखी है। क्या आपको लगता है कि उसकी जरुरत है। तब सीबीआई ने कहा कि मुआवजा जरूर मिलना चाहिए।

सेंगर की तरफ से वकील तनवीर मीर ने सेंगर की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए कहा था कि वे चार बार विधायक रहे हैं। उन्होंने आम लोगों के लिए काफी काम किया है। तनवीर मीर ने महमूद दाऊद शेख बनाम गुजरात सरकार के केस का जिक्र करते हुए कहा था कि कोर्ट को समाज के लिए उनके किए हुए काम को देखना चाहिए और न्यूनतम सजा देनी चाहिए। मीर ने कहा था कि तिहाड़ जेल में सेंगर का आचरण काफी अच्छा रहा है। मीर ने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 357 (3) का हवाला देते हुए कहा था कि अगर जुर्माना लगाया जाता है तो मुआवजा नहीं दिया जाना चाहिए। तब कोर्ट ने कहा था कि कोई भी मुआवजे की राशि पीड़ित को हुए नुकसान की भरपाई नहीं कर सकती है।

पिछले 16 दिसम्बर को कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को अपहरण और रेप के मामले में दोषी करार दिया था। कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इस मामले में वो सारी मजबूरियां और लाचारियां हैं, जो दूरदराज में रहने वाली ग्रामीण महिलाओं के सामने अक्सर आती हैं। इनसे जूझ कर लड़कियां और महिलाएं डर और शर्म से अपना नारकीय जीवन काटती हैं। कोर्ट ने कहा था कि हमारे विचार से इस जांच मैं पुरुषवादी सोच हावी रही है और इसी वजह से लड़कियों के खिलाफ यौन हिंसा और शोषण में जांच के दौरान संवेदनशीलता और मानवीय नजरिये का अभाव दिखता है। यही वजह है कि जांच के दौरान इस मामले में कई जगह ऐसा लगा कि पीड़ित और उसके परिवार वालों के साथ निष्पक्ष जांच नहीं हुई।

इस मामले में कोर्ट ने बचाव पक्ष के 9 गवाहों और अभियोजन पक्ष के 13 गवाहों के बयान दर्ज किये थे। पिछले 24 अक्टूबर को कोर्ट ने पीड़ित और उसके परिवार के सदस्यों को दिल्ली में रहने की व्यवस्था करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने दिल्ली महिला आयोग को इसके इंतजाम करने का निर्देश दिया था। पिछले एक अक्टूबर को कोर्ट ने उन्नाव के ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट का बयान दर्ज किया था। उन्नाव के ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट ने रेप पीड़ित की चाची का बयान दर्ज किया था। इस मामले में डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज धर्मेश शर्मा की कोर्ट ने पीड़ित की मां का भी बयान दर्ज किया।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पीड़ित को पिछले 28 जुलाई को लखनऊ से दिल्ली एम्स में इलाज के लिए शिफ्ट किया गया था। पिछले 11 और 12 सितम्बर को जज धर्मेश शर्मा ने एम्स के ट्रॉमा सेंटर जाकर बने अस्थायी कोर्ट में पीड़ित का बयान दर्ज किया था।

Updated : 23 Dec 2019 10:00 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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