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कर्नाटक उपचुनाव में कांग्रेस की हार के बाद दो दिग्गज नेताओं ने दिया इस्तीफा

बेंगलुरु। कर्नाटक उपचुनाव में मिली हार के रूप में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। 15 सीटों पर हुए उपचुनाव में खराब प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस पार्टी को दो बड़े नेताओं ने अपने पद से इस्तीफा दिया है। कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने विधायक दल के नेता पद से तो दिनेश गुंडू राव ने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, दोनों नेताओं ने राज्य में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए अपने-अपने पद से इस्तीफा दिया है।

सीनियर कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने उपचुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि मैं कांग्रेस विधायक दल के नेता के पद से इस्तीफा दे रहा हूं। मैंने अपना इस्तीफा सोनिया गांधी को सौंप दिया है। बता दें कि बीजेपी ने 15 से 12 सीटों पर शानदार प्रदर्शन किया है।

सोमवार को नतीजे सामने आने के बाद कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा कि लोकतंत्र में हमें लोगों के जनादेश को स्वीकार करना होता है। जनता ने जनादेश दे दिया है और हम उसका सम्मान करते हैं। हम उम्मीद कर रहे थे कि अयोग्य विधायकों को सबक सिखाया जाएगा, मगर ऐसा नहीं हुआ। हम जनता के जनादेश का सम्मान करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि मैंने अपना इस्तीफा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उसकी एक-एक कॉपी केसी वेनुगोपाल और प्रदेश अध्यक्ष दिनेश राव को भेज दी है।

वहीं, नतीजे सामने आने के बाद कर्नाटक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने कहा कि मैं इसकी जिम्मेदारी लेता हूं और कर्नाटक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं।

बता दें कि कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा ने उपचुनावों में छह सीटें जीतकर विधानसभा में सोमवार को बहुमत हासिल कर लिया। वह छह अन्य सीटों पर आगे भी चल रही है। कर्नाटक विधानसभा उपचुनावों के लिए मतगणना अभी चल रही है। महाराष्ट्र में सरकार न बना पाने के बाद कर्नाटक में भाजपा का 12 सीटों पर अच्छा प्रदर्शन उसके लिए मनोबल बढ़ाने वाला है। झारखंड में एक चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के प्रदर्शन की तारीफ की और कांग्रेस पर पिछले दरवाजे से जनादेश को चुराने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हाल में संपन्न हुए उपचुनावों में कांग्रेस को सबक सिखाया गया है।

इस बीच, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने कहा कि वह अपने बाकी के साढ़े तीन साल के कार्यकाल के लिए स्थिर और विकासोन्मुख सरकार देंगे। उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा, ''मतदाताओं ने अपना फैसला दे दिया और नतीजे आ चुके हैं। अब हमें राज्य के विकास पर ध्यान केंद्रित करना है। मैं अपने मंत्रियों और विधायकों की मदद से अगले तीन साल के लिए सुशासन दूंगा।

पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा के नेतृत्व वाली जद(एस) उन सभी 12 सीटों पर पीछे चल रही है जहां उसने अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। पूर्व में हुए चुनाव में उसके पास तीन सीटें थीं।

बता दें कि ये उपचुनाव 17 विधायकों को अयोग्य करार देने से पैदा हुई रिक्तियों को भरने के लिये हो रहे हैं। इन विधायकों में कांग्रेस और जद(एस) के बागी नेता शामिल थे। इन विधायकों की बगावत के चलते जुलाई में एच डी कुमारस्वामी नीत कांग्रेस-जद(एस) सरकार गिर गई थी और भाजपा के सत्ता में आने का मार्ग प्रशस्त हुआ।

भाजपा को राज्य की सत्ता में बने रहने के लिए 225 सदस्यीय विधानसभा (अध्यक्ष सहित) में 15 सीटों (जिन पर उपचुनाव हो रहे हैं) में कम से कम छह सीटें जीतने की जरूरत थी। विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के बाद विधानसभा में इस समय 208 सदस्य हैं जिनमें भाजपा के पास 105 (एक निर्दलीय सहित), कांग्रेस के 66 और जद (एस) के 34 विधायक हैं। बसपा का भी एक विधायक है। इसके अलावा एक मनोनीत विधायक और विधानसभा अध्यक्ष हैं।

अगर भाजपा उन छह सीटों पर भी जीत दर्ज कर लेती हैं जिन पर वह आगे चल रही है तो सदन में पार्टी के सदस्यों की संख्या 105 से बढ़कर 117 हो जाएगी जो 223 सदस्यीय सदन में बहुमत के 111 के आंकड़े से अधिक है। उच्च न्यायालय में लंबित याचिका के कारण दो सीटें खाली हैं।

Updated : 10 Dec 2019 9:45 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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