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प्रख्यात बांसुरी वादक पं. नित्यानंद हल्दीपुर को मिलेगा 'तानसेन सम्मान'

नित्यानंद बोले - मेरे लिए पद्म से बढक़र है तानसेन सम्मान

प्रख्यात बांसुरी वादक पं. नित्यानंद हल्दीपुर को मिलेगा तानसेन सम्मान
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  • चन्द्रवेश पांडे

ग्वालियर। मप्र शासन के संस्कृति विभाग का वर्ष 2021 का प्रतिष्ठित राष्ट्रीय तानसेन सम्मान (Tansen Samman) भारत के अग्रणी और प्रतिष्ठित बांसुरी वादक पं नित्यानंद हल्दीपुर (Nityanand Haldipur) को प्रदान किया जा रहा है। सम्मान के लिए चयनित होने से पं हल्दीपुर काफी खुश हैं। 'स्वदेश' से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह सम्मान उनके लिए पद्म सम्मान से भी कहीं बढक़र है। उन्होंने कहा कि वे अभिभूत है और अपनी भावनाओं को शब्दों में बयां नहीं कर सकते।

पं. पन्नालाल घोष एवं पद्मभूषण श्रीमती अन्नापूर्णा देवी सरीखे पुरोधाओं से संगीत की बारीकियां सीखने वाले मैहर घराने के प्रतिनिधि कलाकार पं नित्यानंद हल्दीपुर का कहना है कि यद्यपि उन्होनें संगीत किसी लोभ-लालच के लिए नहीं सीखा और न ही इसके लिए कि सम्मान और पुरस्कार लेना है। लेकिन बाबा तानसेन के नाम का सम्मान 'तानसेन सम्मान' मिलना अपने आप में बड़ी बात है। यह भगवान के प्रसाद की तरह है। उन्होंने कहा कि तानसेन की समाधि और ग्वालियर वास्तव में दुनियाभर के संगीतकारों के लिए तीर्थ हैं। वे पिछले सालों में पांच या छह बार तानसेन समरोह में स्वरांजलि अर्पित कर चुके हंै। ग्वालियर जैसे रसिक उन्हें कहीं नहीं मिलते। पूरी-पूरी रात बैठकर वे जिस तरह सुनते हैं, उसे देखकर मन प्रसन्न होता है। असल में वे कलाकार को नहीं संगीत का आनंद लेने आते है। मुझे ग्वालियर के लोगों का हमेशा स्नेह मिलता रहा है।


श्री हल्दीपुर ने कहा कि तानसेन सम्मान की कल्पना उन्होनें कभी नहीं की थी। उन्होंने कहा कि ये मेरे के लिए इसीलिए महत्वपूर्ण है कि यह सम्मान कलाकारों की ज्यूरी तय करती है न कि सरकारी अधिकारी कर्मचारी। मैं यह तानसेन सम्मान अपने गुरुजनो के श्री चरणों में समर्पित करता हूं।

नित्यानंद जी अपनी अनुशासित व मननशील प्रस्तुतियों के लिए जाने जाते हैं। घराने से मिली तालीम व रागदारी की शुद्धता के प्रति वे हमेशा आग्रही रहे हैं। संगीत की शिक्षा को लेकर उनकी स्पष्ट मान्यता है कि एक संगीतकार और उसकी रचनात्मकता को आकार देने में एक घराने के गुण और उसके संगीत मूल्य बहुत महत्वपूर्ण है। श्री हल्दीपुर स्वयं भी श्रेष्ठ शिक्षक है और कई युवाओं को बांसुरी वादन व रागदारी की तालीम दे रहे हैं। वे कहते हैं कि डूबने वाला अभ्यास हर दिन भगवान के जाप की प्रक्रिया की तरह है। इससे तत्काल परिणाम की उम्मीद बेमानी है। लेकिन कोई विद्यार्थी सतत् अभ्यास करता है तो वह उल्लेखनीय परिवर्तन और विकास देख सकता है। वे कहते हैं कि एक कलाकार का संगीत उसक गाना बजाना तभी परिष्कृत होता है जब वह अपनी कल्पना का उपयोग करता है और गुरु द्वारा दी गई तालीम के बीज को एक ठोस संरचना में विकसित करता है। उन्होंने कहा कि आज का युवा संगीत तो करना चाहता है लेकिन उसकी प्राथमिकता में आईटी, कम्प्यूटर होता है। जब तक संगीत का ध्येय नहीं बनाते तब तक इसमें कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है।

19 दिसम्बर को अलंकरण समारोह में प्रदान किया जाएगा सम्मान

पं नित्यानंद हल्दीपुर को 19 दिसम्बर को यहां हजीरा स्थित तानसेन के समाधि स्थल पर आयोजित समारोह में वर्ष 2021 के तानसेन अलंकरण 'तानसेन सम्मान' से विभूषित किया जाएगा। सम्मान स्वरूप उन्हें कर मुक्त सम्मान राशि, शॉल श्रीफल एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। समारोह 18 दिसम्बर को पूर्व रंग कार्यक्रम 'गमक' के साथ शुरु होगा और 23 को इसका समापन होगा।

Updated : 24 Nov 2022 6:12 AM GMT
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