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कांग्रेस देश में अस्थिरता और निराशा फैला रही है : प्रधानमंत्री

कांग्रेस देश में अस्थिरता और निराशा फैला रही है : प्रधानमंत्री
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह अविश्वास प्रस्ताव के जरिए देश में अस्थिरता पैदा करना चाहती है तथा अफवाहों और दुष्प्रचार का सहारा लेकर देश में निराशा फैलाने की कोशिश कर रही है।

तेलुगू देशम पार्टी की ओर से पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव पर हुई दिन भर की चर्चा का उत्तर देते हुए श्री मोदी ने अपने 90 मिनट के जोरदार भाषण में कांग्रेस की अभिजात्य राजनीति पर प्रहार किया तथा विपक्षी महागठबंधन का मजाक उड़ाया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस आरक्षण और दलित कानूनों को कमजोर करने का दुष्प्रचार कर रही है तथा देश को हिंसा की आग में झोकने का षड़यंत्र रच रही है। कांग्रेस सत्य को रौंदने और कुचलने पर आमादा है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस सत्ता प्रेम के कारण 2014 को जनादेश को अभी तक स्वीकार नहीं कर पा रही है। उसकी सोच है या तो हम रहेंगे या देश में अस्थिरता रहेगी।

प्रधानमंत्री ने स्वयं को देश का चौकीदार और जनता दुखदर्द में भागीदार बताते हुए कहा कि वह सौदागार और ठेकेदार नहीं हैं। उनकी सरकार देश के युवाओं किसानों और मजदूरों के सपनों में भागीदार है।

श्री मोदी ने कहा कि लोकसभा में संख्या बल न होने के बावजूद अविश्वास प्रस्ताव लाकर कांग्रेस ने तीस वर्ष बाद पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई उनकी सरकार को अस्थिर बनाने की कोशिश की है। इसके लिए कांग्रेस ने कुछ पार्टियों को मोहरा बनाया है। उन्होंने व्यंग्य किया कि कांग्रेस की यह कार्रवाई 'हम तो डूबेंगे तुम्हें भी लें डूबेंगे' जैसी है।

कांग्रेस देश की जनता का भावनात्मक भयादोहन (ब्लैकमैलिंग) कर एेन-केन प्रकारेण सत्ता तक पहुंचने का आसान तरीका तलाश रही है।

श्री मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अपनी अलोचना का मुख्य शिकार बनाते हुए कहा कि वह प्रधानमंत्री बनने के लिए उतावलापन दिखा रहे हैं लेकिन इसमें उन्हें सफलता नहीं मिलेगी। मोदी ने उपहास के लहजे में कहा कि वह चाहते हैं कि कांग्रेस वर्ष 2024 में फिर अविश्वास प्रस्ताव लाए। इसके लिए कांग्रेस को उनकी शुभकामनाएं हैं।

कांग्रेस नेताओं को नामदार और खुद को कामदार बताते हुए श्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस जनता से कट चुकी है। देश की राजनीति आज लोकतांत्रिक भावना के अनुरूप पहुंच गई है। इस राजनीति में कांग्रेस अप्रासांगिक हो गई है।

कांग्रेस नेतृत्व पर अहंकारी होने और सत्ता पर एकाधिकार मानने की आलोचना करते हुए श्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए अविश्वास प्रस्ताव की संवैधानिक व्यवस्था का दुरुपयोग किया है। उन्होंने सदन से आग्रह किया कि वह इस प्रस्ताव को खारिज कर दे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस में आत्मविश्वास का अभाव है तथा वह अपने सहयोगियों पर भी विश्वास नहीं रखती। अविश्वास की इस मानसिकता का ही नतीजा है कि वह देश में तेजी से हो रहे विकास की हकीकत को स्वीकार नहीं कर पा रही है। कांग्रेस स्वच्छ भारत , योग दिवस जैसे आयोजनों पर ही अविश्वास ही नहीं करती बल्कि भारत के मुख्य न्यायाधीश, रिजर्व बैंक, चुनाव आयोग, इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन पर भरोसा नहीं रखती।

उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी सरकार ने भ्रष्टाचार पर इस तरह से सीधा हमला किया है उससे कांग्रेस की परेशानी बढ़ गई है। जो लोग कभी खुद को सर्वेसर्वा समझते थे। उन्हें कोर्ट कचहरियों का चक्कर काटना पड़ रहा है।

सीमा पार आतंकियों के खिलाफ हुई 'सर्जिकल स्ट्राइक' को जुमला स्ट्राइक बताने के लिए राहुल गांधी पर तीखा प्रहार करते हुए मोदी ने कहा कि यह देश की सेना का अपमान है। उन्होंने कहा कि मोदी को जितना चाहे गाली दें लेकिन सीमा की रक्षा में लगे जबाज जवानों को नीचा दिखाने का प्रयास न करें।

राफेल युद्धक विमान सौदे को लेकर की गई आलोचना का उत्तर देते हुए मोदी ने कहा कि विपक्षी नेता ने बिना किसी जानकारी और तथ्य के इस सौदे में अनियमितता का आरोप लगाया है। इस बचकाना हरकत के कारण ही दो देशों की सरकारों को इन आरोंपों का खण्डन करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष को ऐसी हल्की राजनीति से बचना चाहिए।

तेलुगु देशम पार्टी के सदस्यों के नारेबाजी के बीच प्रधानमंत्री ने देश में रोजगार सृजन के विस्तृत आंकड़े पेश करते हुए कहा कि केवल संगठित क्षेत्र में पिछले 1 वर्ष के दौरान 70 लाख नए लोगों को रोजगार मिला है।

डूबे कर्जों के कारण बैंकों पर बड़े बोझ के कारणों का श्री मोदी ने विस्तार से जिक्र करते हुए कि मनमोहन सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2008 से 2014 तक केवल 6 वर्षों में 52 लाख करोड़ रुपये के कर्जे मनमाने तरीके से दिए गए। आजादी के बाद के 60 वर्षों में केवल 18 लाख करोड़ के कर्जे दिए गए थे। उन्होंने मनमोहन सरकार पर 'फोन बैंकिंग' की अनुचित परिपाटी पर अमल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि फोन करके बैंकों से लोगों को मनमाने तरीके से कर्जा देने निर्देश दिए जाते थे। इन कर्जों के वसूली न होने के कारण बैंक संकट ग्रस्त हो गए जिन्हें उनकी सरकार ने उबारने काम किया ।

श्री मोदी ने इसे बैंक लूट की संज्ञा देते हुए कहा कि मनमोहन सरकार के इन फैसलों ने देश की अर्थव्यवस्था में बारूदी सूरंगे बिछा दी थी जिससे पूरी व्यवस्था के ध्वस्त होने का खतरा था। उस सरकार ने कैपिटल गुड आयात की ऐसी मनमानी छूट दी जिससे ऐसा आयात कच्चे तेल के आयात के बराबर हो गया। इससे स्वदेशी केपीटल गुड उद्योग कमजोर हुआ और व्यापार संतुलन बढ़ा।





Updated : 21 July 2018 11:44 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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