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संस्कृत भाषा भारत के डीएनए में बसी

संस्कृत भाषा भारत के डीएनए में बसी
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वाराणसी/स्वदेश वेब डेस्क। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार और उत्थान के लिए पिछली सरकारों ने कोई प्रयास नहीं किया। उन्होंने कहा कि 17 साल लग गए संस्कृत को प्रदेश में आगे बढ़ाने के लिए। जब मैं मुख्यमंत्री बना तब मैंने इस दिशा में प्रयास शुरू किया और आज संस्कृत को आगे बढ़ाने के लिए काफी प्रयास हो रहा है।

दो दिवसीय दौरे पर रविवार की शाम शहर में आये मुख्यमंत्री संस्कृत भारती की ओर से निवेदिता शिक्षा सदन में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी 'अखिल भारतीयोपवेशनम काशी' के द्वितीय दिवस समारोह में संस्कृत प्रेमियों को सम्बोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर कहीं पर विज्ञान खत्म होता है तो उससे भी आगे संस्कृत होती हैं। उन्होंने कहा कि काशी में संस्कृत यहां के लोगों में और यहां की संस्कृति के रग-रग में रची बसी हैं। कहा जाए कि संस्कृत भारत के डीएनए में बसी है तो कहीं से गलत नहीं होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी परंपराओं और संस्कृति से प्रभावित होकर बहुत से लोग भारत आए। सभी भारत के ही हो कर रह गए, लेकिन अपनी परंपराओं और चीजों को भूलने की वजह से कुछ लोगों की गलत नीतियां यहां पर देखने को मिली। इसके लिए भी जिम्मेदार हम ही हैं जो हमने अपनी चीजों को भूलने का काम किया। इसलिए जरूरी यह है कि हम अपनी सभ्यता परंपरा और संस्कृति को ना भूले और उन्हें हमेशा साथ लेकर चलें। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि संस्कृत को अपनाते हुए हम अपनी परंपराओं के अनुरूप कार्य करेंगे तो भारत विश्व में सर्वोच्च स्थान पर होगा।

इसके पूर्व गोष्ठी में मुख्यमंत्री का स्वागत संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कामत, राष्ट्रीय महामंत्री श्रीशदेव पुजारी ने किया।

Updated : 28 Oct 2018 10:04 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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