Home > Lead Story > राम जन्मभूमि मामला : बाबर की जमीन होने के सबूत नहीं तो मुसलमानों को हिस्सा कैसा?

राम जन्मभूमि मामला : बाबर की जमीन होने के सबूत नहीं तो मुसलमानों को हिस्सा कैसा?

राम जन्मभूमि मामला : बाबर की जमीन होने के सबूत नहीं तो मुसलमानों को हिस्सा कैसा?
X

नई दिल्ली। अयोध्या मामले पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में 15वें दिन की सुनवाई पूरी हो गई। पुनरुद्धार समिति के वकील पीएन मिश्रा ने दलील दी कि मस्ज़िद हमेशा मस्ज़िद रहेगी, ये ज़रूरी नहीं। पैगंबर मोहम्मद ने कहा था कि किसी का घर तोड़कर वहां मस्जिद नहीं बनाई जा सकती। अगर ऐसा किया गया तो जगह वापस उसके हकदार को दे दी जाए। ये एक तरह से उनका वचन था। उनके अनुयायियों पर भी ये वचन लागू होता है। पांच जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि 2 सितंबर से मुस्लिम पक्ष बहस शुरू करे। ऐसे में कल हिंदू पक्षकारों की जिरह पूरी हो सकती है।

पीएन मिश्रा ने कहा कि बाबरी मस्जिद बाबर ने नहीं औरंगजेब ने बनवाई थी। मिश्रा ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले में जस्टिस एसयू खान ने कहा था कि मुझे इस बात का सबूत नहीं मिला कि ढांचे का निर्माण बाबर ने कराया था, जबकि जस्टिस अग्रवाल ने कहा था कि औरंगजेब ने बनवाया था। मिश्रा ने कहा कि मुस्लिम पक्षकार यह साबित नहीं कर पाए थे कि मस्जिद का निर्माण बाबर ने करवाया था। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने माना था मुस्लिम पक्ष ने माना था कि ऐसा कोई सबूत नहीं है कि मस्जिद बाबर ने बनवाया था। इस बारे में सबूत नहीं है कि 1528 में मस्जिद का निर्माण किया गया।

मिश्रा ने कहा कि यह तो साफ है कि मस्जिद को मंदिर के ऊपर बनाया गया था, क्योंकि मंदिर के अवशेष उस जगह से मिले हैं। कुछ लोगों का मानना है कि मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाई गई, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद बनाई गई। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह साबित नहीं हो पाया है कि विवादित जमीन पर मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण बाबर ने कराया था या औरंगजेब ने। मेरा मानना है कि जब कोई सबूत नहीं है तो मुस्लिम पक्षकार को विवादित जमीन का कब्जा नहीं दिया जा सकता।

जस्टिस बोबडे ने पीएन मिश्रा से तीन बिंदु स्प्ष्ट करने को कहा। पहला, वहां पर एक ढांचा था, इस बारे में कोई विवाद नहीं है पर क्या वह ढांचा मस्जिद है या नहीं, बहस यह है। वह ढांचा किसको समर्पित था। मिश्रा ने कहा कि 1648 में शाहजहां का शासन था और औरंगजेब गुजरात का शासक था। इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने अप्पति जताते हुए कहा कि अब तक 24 बार मिश्रा सन्दर्भ से बाहर जाकर किस्से-कहानियां सुना चुके हैं।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ये अपने तथ्यों को रख रहे हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने मिश्रा से भी कहा कि सिर्फ सन्दर्भ बताएं। मिश्रा ने कहा कि सिर्फ कोर्ट मुझे गाइड कर सकता है, मेरे साथी वकील नहीं। तब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि आप स्वतंत्र हैं अपने तथ्य रखने को, आप आपका पक्ष रखें।

मिश्रा ने कहा कि हाई कोर्ट ने माना था कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को नष्ट कर बनाया गया था। बाबर के कहने पर मीर बाक़ी ने निर्माण किया था। जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा, इसका मतलब है कि हाई कोर्ट ने बहुमत से ये माना था कि इस बात के सबूत नहीं कि मस्जिद का निर्माण बाबर ने कराया था?

मिश्रा ने कहा कि इस्लाम के अनुसार दूसरे के पूजा स्थल को गिराकर या ध्वस्त करके उस स्थान पर मस्जिद नहीं बनाई जा सकती। उन्होंने कहा कि ऐसी ज़मीन जिस पर दो लोगों का कब्ज़ा हो और एक मस्जिद बनाने का विरोध करे तो उस जमीन पर भी मस्जिद नहीं बनाई जा सकती। मिश्रा ने कहा कि विवादित ढांचे को जुमे की नमाज के लिए 2-3 घण्टे के लिए ही खोला जाता था। इस्लामी कानून के अनुसार अगर कहीं मस्जिद में अजान होती है और दो समय की नमाज नहीं होती है तो वह मस्जिद नहीं रह जाती है।

जस्टिस बोबडे ने पूछा कि क्या कोई राजा राज्य की संपत्ति से वक्फ बना सकता है या उसे पहले संपत्ति खरीदनी होगी? तब मिश्रा ने तारीख फिरोज शाही का हवाला देते हुए कहा कि विजित संपत्ति से विजेता पारिश्रमिक के रूप में 1/10 का मालिक है। और अपने पारिश्रमिक में से वह एक वक्फ बना सकता है। मिश्रा ने कहा कि 1860 तक, अयोध्या में विवादित इस्ट्रक्चर में मुसलमानों के नामज़ पढ़ते का कोई सबूत नहीं है।

Updated : 29 Aug 2019 12:37 PM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top