Home > Lead Story > भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक पर लगी संसद की मुहर

भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक पर लगी संसद की मुहर

भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक पर लगी संसद की मुहर
X

नई दिल्ली। देश छोड़कर भागने वाले आर्थिक अपराधियों को कानून के कटघरे में लाने वाले 'भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018'को आज संसद की मंजूरी मिल गई। राज्यसभा ने इस विधेयक को बुधवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया जबकि लोकसभा इसे गत 18 जुलाई को मंजूरी प्रदान कर चुकी है। इस कानून के लागू होने के बाद भगोड़े अपराधियों को अपनी संपत्ति बचाने के लिए स्वदेश आना ही होगा।

यह विधेयक गत मार्च महीने में जारी किए गए भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्यादेश के स्थान पर लाया गया था। चर्चा में रहे विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे आर्थिक अपराधियों के विदेश भाग जाने के मद्देनजर यह अध्यादेश लाया गया था। अध्यादेश और उसके स्थान पर लाए गए विधेयक में प्रावधान है कि भगोड़े अपराधियों की अवैध और बेनामी संपत्ति को कुर्क और जब्त किया जा सकता है। इन आर्थिक अपराधियों को भारतीय अदालतों के सामने समर्पण करने के लिए 90 दिन की मोहलत देने का प्रावधान किया गया है। यदि वे स्वदेश आकर कानून का सामना नहीं करते हैं तो सरकारी एजेंसी उनकी अवैध और बेनामी संपत्ति को कुर्क, जब्त और नीलाम कर सकती है। पहले के कानून में यह प्रावधान था कि दोषी और सजा पाने के बाद ही संपत्ति जब्त की जा सकती थी। नए कानून में यह प्रावधान किया गया है कि भगोड़े आर्थिक अपराधी के स्वदेश नहीं आने पर ऐसा किया जा सकेगा।

विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कार्यवाहक वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ऐसे मामलों में अभियोजक प्रवर्तन निदेशालय होगा। निदेशालय की ओर से निदेशक या उपनिदेशक विशेष कोर्ट में मामला पेश करेंगे। यह विशेष कोर्ट केवल भगोड़े आर्थिक अपराधियों के मामले की ही सुनवाई करेंगे, जिससे मामलों का जल्द निपटारा हो सकेगा। उन्होंने कहा कि आर्थिक अपराध के लिए 100 करोड़ या इससे अधिक धनराशि का प्रावधान इसलिए किया गया है ताकि बड़े आर्थिक अपराधियों पर नकेल कसी जा सके और विशेष न्यायालय पर ज्यादा बोझ न पड़े । इससे कम धनराशि वाले मामलों की सुनवाई सामान्य रूप से होगी।

गोयल ने कहा कि इस विधेयक में पहले से मोजूद मनी लांड्रिंग निरोधक कानून को सख्त बनाया गया है। इससे ऐसे अपराधी विदेश भागने से बाज आएंगे। उन्होंने कहा कि जो लोग विदेश भाग गए हैं, उन्हें भी संपत्ति जब्ती का भय होगा।

कार्यवाहक वित्तमंत्री ने सदस्यों के प्रश्नों के जवाब में कहा कि विदेश मंत्रालय की ओर से सदन को सूचित किया गया है कि 48 देशों के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि है। सरकार की कोशिश ये है कि दुनिया के सभी देशों के साथ इस तरह के समझौते हों।

संपत्ति जब्ती के कारण भारतीय नागरिक के मौलिक अधिकार प्रभावित होने की दलील का उत्तर देते हुए गोयल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 2016 में दिए गए फैसले में कहा था कि गलत तरीके से अर्जित की गई संपत्ति को जब्त किया जा सकता है। ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 300ए का उल्लंघन नहीं है।

Updated : 25 July 2018 7:43 PM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top