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दुनिया में सबसे अधिक नोबेल जीतने वाला शहर बना कोलकाता

दुनिया में सबसे अधिक नोबेल जीतने वाला शहर बना कोलकाता
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कोलकाता/वेब डेस्क। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता दुनिया का पहला ऐसा शहर बन गया है जहां के 6 बुद्धिजीवियों को नोबेल पुरस्कार मिल चुका है। एक दिन पहले ही अभिजीत विनायक बनर्जी को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। इससे बंगाल समेत पूरे देश में खुशी की लहर है। कोलकाता दुनिया का एकमात्र शहर बन गया है जिसने छह नोबेल और एक ऑस्कर पुरस्कार मिला है। कोलकाता से संबंधित जिन लोगों को नोबेल पुरस्कार मिला है वे हैं रोनाल्ड रॉस, रवींद्रनाथ टैगोर, सीवी रमन, मदर टेरेसा, अमर्त्य सेन और अभिजीत बनर्जी।

सबसे पहले रोनाल्ड रॉस को 1902 में नोबेल पुरस्कार मिला था। उन्हें मेडिसिन के क्षेत्र में मलेरिया और अन्य वेक्टर जनित बीमारियों को फैलाने वाले मच्छरों से बचाव के लिये किए गए खोज के लिए सम्मानित किया गया था। वह 1898 में कोलकाता आए थे और इस खोज की शुरुआत की थी जिसके बाद उन्हें दुनिया भर से मलेरिया उन्मूलन के लिए शानदार खोज करने हेतु नोबेल पुरस्कार दिया गया था। उसके बाद 1913 में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने साहित्य के क्षेत्र में यह पुरस्कार जीता था। वह पहले गैर यूरोपियन थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनके उपन्यास गीतांजलि का अंग्रेजी में अनुवाद किया गया था जिस पर उन्हें यह सम्मान मिला था।

1930 में वैज्ञानिक सीवी रमन को नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया। भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में मिले इस नोबल पुरस्कार को प्राप्त करने वाले सीवी रमन ना केवल भारत बल्कि एशिया महादेश के पहले वैज्ञानिक थे। 1860 से 1935 तक उन्होंने कोलकाता के बउबाजार में स्थित इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ़ साइंस के साथ जुड़कर काम किया था और रमन इफेक्ट सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। संत मदर टेरेसा को 1979 में शांति के लिए यह सम्मान दिया गया था। गरीबों के उत्थान, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए उन्होंने जो काम किया था उसके लिए उन्हें सम्मानित किया गया था। 1950 में कोलकाता में उन्होंने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की जो दुनिया भर के विभिन्न देशों में काम करती है। उसके बाद 1998 में अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को पहले बंगाली अर्थशास्त्री के तौर पर नोबेल पुरस्कार मिला था। उनका जन्म शांतिनिकेतन में हुआ था और बंग भंग से पहले उन्होंने ढाका में पढ़ाई की थी। ब्रिटेन और अमेरिका में ही उन्होंने जीवन का अधिकतर समय बिताया है। फिलहाल वह कोलकाता में रहते हैं।

अब अर्थशास्त्र के क्षेत्र में ही अभिजीत बनर्जी को यह सम्मान मिला है। उनके साथ उनकी पत्नी एस्थर डफलो को भी यह सम्मान मिला है। 2013 में दोनों पति-पत्नी ने मिलकर संयुक्त रूप से "अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी ऑक्शन लैब" की स्थापना की थी। इसका मकसद गरीबी दूर करने के लिए शोध करना था और उनके सिद्धांतों की वजह से दुनियाभर के दर्जनभर से अधिक देशों में गरीबी दूर हुई है।अगर ऑस्कर पुरस्कार की बात की जाए तो सत्यजीत रॉय को यह सम्मान 1992 में पहले भारतीय के तौर पर मिला। (हि.स.)

Updated : 16 Oct 2019 9:02 AM GMT
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