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निर्भया केस : 23 को सुनवाई, दोषियों को 20 को होगी फांसी

निर्भया केस : 23 को सुनवाई, दोषियों को 20 को होगी फांसी
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नई दिल्ली। निर्भया के दोषियों के लिए अदालत ने चौथी बार डेथ वॉरंट जारी कर दिया है यानी अब निर्भया गैंगरेप के चारों दोषियों को 20 मार्च को सुबह 5:30 बजे फांसी दे दी जाएगी। हालांकि इस बीच, सुप्रीम कोर्ट में एक सुनवाई की तारीख आने के बाद सस्पेंस बनता दिख रहा है। दरअसल, दोषियों को अलग-अलग फांसी दिए जाने को लेकर केंद्र सरकार की एक याचिका पर शीर्ष अदालत में 23 मार्च को सुनवाई होनी है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या दोषियों को 20 मार्च को फांसी दी जा सकती है क्योंकि यह मामला यूनियन ऑफ इंडिया वर्सेज मुकेश कुमार का है। हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में 23 मार्च को होने वाली सुनवाई से निर्भया के दोषियों की फांसी पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि यह भविष्य को ध्यान में रखकर सुनवाई होगी। मौजूदा व्यवस्था के तहत एक केस में फांसी की सजा सभी दोषियों को एक साथ ही दी जा सकती है। केंद्र सरकार इसमें बदलाव चाहती है और इसके लिए कोर्ट पहुंची थी।

तीन बार फांसी टलने के बाद कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि उम्मीद है इस बार मेरी बेटी की दोषियों को फांसी दी जाएगी। इससे पहले कोर्ट ने तीन बार डेथ वारंट जारी किया था। लेकिन दोषियों ने अपने कानूनी अधिकारों का उपयोग कर इस टालने में सफल रहे थे। हालांकि दोषियों के वकील ने कहा कि दोषियों के पास अभी कानूनी विकल्प बचे हुए हैं। अक्षय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है और जेल ने कोर्ट को यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि दोषियों का ज्यूडिशियल मर्डर मत कीजिए

निर्भया के गुनहगारों के खिलाफ जारी किए गए पहले डेथ वारंट जारी कर 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी देने का पटियाला हाउस कोर्ट ने आदेश सुनाया था।

निर्भया के दोषियों के खिलाफ दूसरा डेथ वारंट 17 जनवरी को जारी कर 1 फरवरी को फांसी की तारीख मुकर्रर की गई थी।

निर्भया केस में तीसरा डेथ वारंट 17 फरवरी को जारी कर दोषियों को 3 मार्च की सुबह 6 बजे फांसी देने का आदेश दिया गया था। लेकिन, 2 मार्च को यानि फांसी की तारीख से एक दिन पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने उस फैसले पर रोक लगा दी।

राष्ट्रपति चारों दोषियों मुकेश, पवन, विनय और अक्षय की दया याचिका पहले ही खारिज कर चुके हैं। इससे पहले मुकेश और विनय ने अपनी याचिकाओं को खारिज करने के राष्ट्रपति के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग चुनौती दी थी, जिन्हें शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया था।

16-17 दिसंबर 2012 की रात फिथिजियोरेपी की 23 वर्षीय छात्रा से दक्षिणी दिल्ली में चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया गया था और लगभग 15 दिन बाद मौत हो गई थी। बाद में निर्भया नाम दिया गया था। छठे आरोपी राम सिंह ने मामले की सुनवाई शुरू होने के बाद कथित रूप से तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। वहीं, किशोर को तीन साल सुधार गृह में रखने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया था।

Updated : 5 March 2020 11:49 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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