क्रिसमस दिवस पर ही मंत्रिमंडल विस्तार और शपथ ग्रहण क्यों?
नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार आज क्रिसमस दिवस पर शपथग्रहण समारोह आयोजित करके एक तीर से कई निशाने साधने जा रही है। पिछले कुछ चुनावों से कांग्रेस ने जिस तरह लचर हिन्दुत्व का चोला पहना है, उसे देख क्रिसमस दिवस पर शपथग्रहण समारोह का यह आयोजन सवालों के घेरे में आ गया है। क्या यह समारोह किसी और दूसरे दिन आयोजित नहीं किया जा सकता था? आगामी कुछ ही माह बाद देश में आम चुनाव होने जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी और अनुसुचित जाति बाहुल्य वाले इस राज्य को ईसाई मिशनरियो के धर्म परिवर्तन के लिए मुफीद राज्य माना जाता रहा है। अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से ही धर्मान्तरण का अभियान छत्तीसगढ़ खास तौर पर बस्तर मे मिशनरियों ने चलाया हुआ था। छत्तीसगढ़ बनने के बाद प्रारम्भ के तीन सालों मे धर्मान्तर के अभियान ने खासा जोर पकड़ लिया था। इन मिशनरियों के राजनीतिक रसूख के कारण कोई भी एजेन्सी इनकी गतिविधियों को रोक पाने में सक्षम नही रहीं है। बस्तर मे इन मिशनरियों के धर्मान्तरण के विरूद्ध आदिवासियों का एक वर्ग हमेशा से विरोध करता रहा है। इस विरोध के कारण बस्तर मे ही कई बार उग्र कार्यवाहियों को आदिवासियों ने ही अन्जाम दिया। पंचायत क्षेत्र मे धर्मान्तरण करने वाले लोगों के साथ मारपीट भी हुई कई बार क्षेत्र मे तनाव के हालात भी बने। थानांे में मामले भी दर्ज हुए। बस्तर मे सक्रिय विश्व हिन्दु परिषद और बजरंग दल से जुडे़ संगठनों ने आदिवासियों मिशनरियों को क्षेत्र मे घुसने के विरोध में अभियान चलाया था। संविधान की पांचवी अनुसूची के नियम 138 (ख) मे स्पष्ट उल्लेख है कि अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्र में किसी अन्य धर्म की गतिविधिया संचालित नही की जानी चाहिये। इस धारा के तहत संविधान अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों की धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक धरोहर को अक्षुण्ण रखने की हिदायत देता है।
सम्पूर्ण बस्तर में पांचवी अनुसूची लागू की गई है परन्तु कोई भी सरकार धर्मान्तर की साजिश के तहत संचालित ईसाई मिशनरियों को ऐसा करने से रोकने मे सर्वथा नाकाम ही रही हैं। स्थानीय पंचायतों ने इस अनुसूची और धारा के तहत ग्राम सभा मे प्रस्ताव पास कर धर्मान्तरण रोकने के प्रयास किये वो भी सरकार की अनदेखी के कारण प्रभावशील नही हो सके। बस्तर मे इन मिशनरियों के धर्मान्तरण के विरूद्ध आदिवासियों का एक वर्ग हमेशा से विरोध करता रहा है। इस विरोध के कारण बस्तर मे ही कई बार उग्र कार्यवाहियों को आदिवासियों ने ही अन्जाम दिया। पंचायत क्षेत्र में धर्मान्तरण करने वाले लोगों के साथ मारपीट भी हुई। कई बार क्षेत्र मे तनाव के हालात भी बने। पुलिस थानों में मामले भी दर्ज हुए। बस्तर में सक्रिय विश्व हिन्दु परिषद और बजरंग दल से जुडे आदिवासियों ने मिशनरियों को क्षेत्र मे घुसने पर ही प्रतिबन्ध लगाये परन्तु धर्मान्तर को रोका नही जा सका..अलबत्ता अमेरिकी संसद मे एक अमेरिकी सांसद ने बस्तर मे ईसाईयों के खिलाफ दमन के आरोप जडने के बाद हालात और बिगड़ गए। हांलाकि पहले की अपेक्षा धर्मान्तर की घटनाआंे मंे कमी देखी जाने लगी थी। अब राज्य मंे कांग्रेस की सरकार बनते ही एक वर्ग ऐसा भी है जिसका मानना है कि अशिक्षा, गरीबी और पिछडे़पन के शिकार इस राज्य मे मिशनरियां फिर शक्तिशाली हो उठेंगी। इधर कांग्रेस ने 25 तारीख क्रिसमस के दिन मंत्रिमण्डल के विस्तार और शपथ ग्रहण का आयोजन रखवा कर इस वर्ग की आशंकाओ को और हवा दे दी है।
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