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समतायुक्त समाज का निर्माण करना ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का ध्येय

कभी हमारा विजन डॉक्युमेंट बना तो वो साम्राज्य का नहीं, जो पिछड़ गए हैं उन्हें आगे लाने का बनेगा : डॉ. मोहनजी भागवत

समतायुक्त समाज का निर्माण करना ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का ध्येय
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नई दिल्ली/ स्वदेश वेब डेस्क। विज्ञान भवन में आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यान माला के दूसरे दिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सरसंघचालक डॉ. मोहनजी भागवत ने हिन्दू शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि हमारे लिए हिन्दू शब्द आग्रह का शब्द है। हिन्दू धर्म एक वैश्विक धर्म है जो भारत के मूल्यों और परंपराओं का सार है । हिन्दू धर्म पश्चिम में प्रचलित शब्द 'रिलीजन' की तरह संकीर्ण नहीं है बल्कि यह व्यक्ति और समाज को पूरी सृष्टि से जोड़ता है । यह जुड़ाव 'अस्तित्व की एकता' में विश्वास करता है, जिसमें विविधताओं को स्वीकार किया जाता है और विविधताओं का उत्सव मनाया जाता है। भारत की सनातन परंपरा के साथ जुड़े हिन्दू, आर्य और सनातनी जैसे शब्दों को लेकर वाद विवाद करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सही है कि 'हिन्दू शब्द' प्राचीन है और इसका प्रचलन 9वीं शताब्दी के बाद ही शुरू हुआ। पश्चिमी एशिया के लोगों ने 'सिन्धु नदी' के पार के लोगों को 'हिन्दू' के रूप में संबोधित किया। बाद में यह शब्द लोकभाषा में शामिल हो गया और समाज जीवन का हिस्सा बन गया। यह इतिहास से हमारी पहचान बन गया।

संघ का विचार हिंदुत्व का विचार है। और हिंदुत्व उस मूल्य समुच्चय का नाम है जो विविधता में एकता का उत्सव मनाता है। उन्होंने कहा कि धर्म सबको साथ लेकर चलना सिखाता है। संघ भी यही कर रहा है। जितने भी महापुरुष हुए है या धर्म सम्प्रदायों की शाखाएं बनीं सभी का एक ही उद्देश्य रहा है कि समाज एकजुट होगा तभी देश का कल्याण होगा। हिदुत्व की संकल्पना में मेरे विकास में सबका विकास छिपा है। विविधताओं को साथ लेकर चलना ही हिंदुत्व है। देशभक्ति, पूर्वज गौरव और संस्कृति की रक्षा यही हिंदुत्व के तीन विचार हैं।

समाज को जोड़कर रखने के लिए मातृशक्ति आवश्यकता बताते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि प्राचीन समय से ही महिलाओं को शक्तिस्वरूपा माना गया है। लेकिन उनको सिर्फ पूजने से काम नहीं चलेगा, आज उनके साथ बराबर के व्यवहार की आवश्यकता है। हमारा उनके प्रति उद्धार का भाव नहीं होना चाहिए। क्योंकि वे कई मामलों में पुरुषों से अधिक सामर्थ्यवान हैं, हमें उन्हें सशक्त और प्रबुद्ध बनाकर उनके जागरण का काम करना चाहिए।

उन्होंने आज फिर दोहराया कि संघ का किसी से बैर नहीं है। हम सबको मित्र मानकर काम करते हैं। इसीलिए शील संपन्न, ज्ञान संपन्न लोगों को जोड़कर एक सुन्दर हार से देश को सजाना है। ये हो सकता है, असंभव नहीं है। ऐसा बताया जाता है कि हज यात्रा पर जाने वाले भारतीय मुसलमानों को हिन्दवी मुसलमान कहा जाता है। इस तरह के विचारों को इंडिक और भारतीय शब्द कहा जाता है। हिन्दू शब्द किसी एक के लिए नहीं है। जो भारत में रहते हैं सभी के लिए है और भारत एक स्वभाव है।

डॉ. मोहनजी भागवत जी ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की कोई राजनैतिक महत्वाकांक्षा नहीं है। हमारा लक्ष्य सम्पूर्ण समाज को जोड़ना है। लेकिन यदि कोई घुसपैठिया हमारे देश और समाज को तोड़ने के प्रयास करेगा तो राष्ट्र हित में संघ अवश्य बोलेगा। उन्होंने कहा कि समतायुक्त, शोषणमुक्त विश्व कल्याण के लिए सद्भावना लेकर चलने वाले समाज का निर्माण करना संघ का ध्येय है। डॉ भागवत जी ने कहा कि कभी हमारा विजन डॉक्युमेंट बना तो वो साम्राज्य का नहीं, जो पिछड़ गए हैं उन्हें आगे लाने का बनेगा, बिना किसी को हानि पहुंचाए देश और समाज को कल्याण के पथ पर ले जाने वाला बनेगा।

कार्यक्रम के दौरान मंच पर उत्तर क्षेत्र के क्षेत्र संघचालक बजरंगलाल जी , दिल्ली प्रान्त के प्रान्त संघचालक कुलभूषण आहूजा जी, दिल्ली प्रान्त के सह प्रान्त संघचालक आलोक कुमार जी उपस्थित थे। इसके अलावा व्याख्यानमाला को सुनने के लिए भाजपा नेता एवं सांसद सुब्रमण्यम स्वामी, जनता दल यूनाइटेड के नेता एवं सांसद केसी त्यागी,केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन , केंद्रीय मंत्री उमा भारती, संगीतकार और गायक हंसराज हंस सहित देश विदेश के राजदूत, राजनयिक और अलग अलग क्षेत्र से आने वाले प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

दूसरे दिन का पूरा विडियो यहाँ देख सकते हैं...


Updated : 19 Sep 2018 4:42 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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