सभी राज्य हफ्तेभर में बताएं कि मॉब लिंचिंग रोकने के लिए क्या उपाय किया
राज्य सरकारें 13 सितंबर तक आदेश का पालन करें वर्ना संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों को तलब करेंगे : सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली। भीड़ द्वारा हिंसा की रोकथाम के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को उसके दिशा-निर्देशों को लागू करने के लिए एक सप्ताह का और समय दिया है। आज सुनवाई के दौरान 9 राज्य सरकारों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया। कोर्ट ने बाकी राज्यों को भी एक सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें 13 सितंबर तक आदेश का पालन करें वर्ना संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों को हम तलब करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे अपने आधिकारिक वेबसाइट पर कोर्ट के आदेश की पालना रिपोर्ट अपलोड करें।
कोर्ट ने राजस्थान के अलवर में कथित गौरक्षकों द्वारा रकबर खान की हत्या के मामले में राज्य सरकार से दोषी अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई संबंधी रिपोर्ट तलब किया है।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह का गठन किया है जो भीड़ द्वारा हत्या के मामलों को रोकने के लिए नया कानून बनाने पर विचार करेगा।
पिछले 20 अगस्त को कोर्ट ने राजस्थान के प्रिंसिपल सेक्रेटरी (होम) से अलवर में कथित गौरक्षकों द्वारा रकबर खान की हत्या के मामले पर रिपोर्ट मांगी थी। कोर्ट ने 30 अगस्त तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
तहसीन पूनावाला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राजस्थान सरकार और अफसरों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लघंन करने का आरोप लगाया है। इस मामले पर एक दूसरी याचिका तुषार गांधी ने दायर की है। उन्होंने राजस्थान सरकार के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का आरोप लगाया है।
पिछले 17 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी भी व्यक्ति को कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने संसद से अपील की थी कि वे भीड़ द्वारा हत्या से निपटने के लिए अलग से कानून बनाएं। कोर्ट ने देशभर में भीड़ द्वारा की गई हत्याओं की निंदा की थी। कोर्ट ने कहा था कि लोगों में कानून का डर पैदा होना चाहिए। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि अराजकता की स्थिति में राज्य सरकारों को काम करना होगा। किसी भी हिंसा की इजाजत नहीं दी जा सकती है। राज्य सरकारों को भीड़ से निपटना होगा और कानून व्यवस्था का पालन करने के लिए कदम उठाना होगा।
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