42 एकड़ जमीन श्रीराम जन्मभूमि न्यास को वापस मिलेगी
मोदी सरकार ने उच्चतम न्यायालय से मांगी अनुमति
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने वर्ष 1994 में अधिग्रहण की गई 42 एकड़ जमीन उनके मूल मालिकों को वापस करने का निर्णय किया है। सरकार ने मंगलवार को इस आशय की उच्चतम न्यायालय से अनुमति मांगी है, इस दलील के साथ कि विवादित मंदिर परिसर की 0.313 एकड़ जमीन का मामला अदालत में चलता रहेगा। सरकार के इस निर्णय को भाजपा ने दूरगामी पहल बताते हुए कहा कि मंदिर निर्माण की प्रक्रिया में यह कदम मील का पत्थर होगा। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि भाजपा अपने मंदिर निर्माण के वादे और संकल्प पर कायम है। जावड़ेकर ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि राम को नहीं मानने वाले अब मंदिर निर्माण प्रक्रिया में बाधा डालंेगे। देशभर में इस पहल का स्वागत हो रहा है। शीर्ष अदालत की अनुमति मिलते ही श्रीराम जन्मभूमि न्यास को 42 एकड़ जमीन प्रदान की जाएगी और इस तरह मंदिर के बाहर निर्माण प्रक्रिया आरम्भ हो सकेगी।
केंद्रीय मानव संशाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पार्टी मुख्यालय में वर्ष 2003 के अदालत के आदेश का जिक्र किया जिसमें अदालत ने कहा था कि यह सरकार को तय करना है कि बाकी जमीन का क्या करना है। उन्होंने कहा कि अगर यह सरकार के अधिकार क्षेत्र में है तो मोदी सरकार ने जमीन के मूल मालिक यानी श्रीराम जन्मभूमि न्यास को वापस देने का निर्णय किया है। जावड़ेकर ने कहा 2004 से 2014 तक केंद्र में संप्रग सरकार का राज था और तत्कालीन मनमोहन सरकार ने जानबूझकर मामले को लटकाने का काम किया ताकि मंदिर निर्माण प्रक्रिया को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि पिछले 70 साल से चला आ रहा जमीनी विवाद आपसी समझ के रास्ते प्रगति की ओर है। और सरकार कानूनी दायरे के अंदर समाधान निकाल लेगी।
दोगुलेपन की नीति पर 56 साल राज किया कांग्रेस ने
यह पूछे जाने पर कि 56 महीने बाद श्रीराम जन्मभूमि न्यास को जमीन लौटाने की सुध आई मोदी सरकार को? इसके जवाब में जावड़ेकर ने कहा कि 56 साल तक दोगुलेपन की नीति पर चलकर देश को लूटने वाले आज 56 माह का हिसाब मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का हर निर्णय विपक्ष चुनावी चस्में से देखता है। गरीब सवर्णाें को दस प्रतिशत आरक्षण देने के एतिहासिक फैसले को भी विपक्ष चुनाव से जोड़ रहा है।
उच्चतम न्यायालय जल्द करेगा केंद्र सरकार की अर्जी का निपटारा: आलोक कुमार
केंद्र सरकार द्वारा श्रीराम जन्मभूमि न्यास की 42 एकड़ भूमि उसे वापस दिए जाने संबंधी केंद्र सरकार की उच्चतम न्यायालय में दी गई प्रार्थना का विश्व हिन्दू परिषद ने स्वागत किया है। न्यास ने यह भूमि भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए ली थी। परिषद के अंतरराष्टीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि भारत सरकार ने वर्ष 1993 में 67.703 एकड़ भू-भाग का अधिग्रहण कर लिया था। जिसमें से केवल 0.313 एकड़ ही विवादित है। 2003 में ही उच्चतम न्यायालय ने मोहम्मद इस्माइल फारूकी वाद में कहा था कि बाहर का अविवादित भू-भाग उनके मालिकों को वापस दिया जाएगा। आलोक कुमार ने कहा कि विहिप को विश्वास है कि देश की शीर्ष अदालत केंद्र सरकार की अर्जी का शीघ्र निपटारा करेगी।
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