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तीन तलाक : करार भर नहीं है विवाह, एकतरफा नहीं तोड़ा जा सकता

तीन तलाक : करार भर नहीं है विवाह, एकतरफा नहीं तोड़ा जा सकता
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नई दिल्ली। केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने आज लोकसभा में तीन तलाक संबंधी विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि इस्लाम में विवाह को महज एक अनुबंध या करार माने जाने का विपक्षी दल के सदस्य का तर्क अनुचित है। उन्होंने कहा कि विवाह के साथ एक मुस्लिम महिला और उसके बच्चों का जीवन जुड़ा है।

स्मृति ईरानी ने तीन तलाक विधेयक पर सदन में जारी चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि यदि यह मान भी लिया जाए कि वह एक करार है तो भी इससे किसी को यह हक नहीं मिलता कि वह करार को एकतरफा रुख से तोड़ दे। उन्होंने कुरान की एक आयत का हवाला देते हुए कहा कि करार को केवल समान शर्तों पर ही तोड़ा जा सकता है। करार तोड़े जाने के परिवार पर बुरे परिणाम पड़ते हैं। इसलिए यह सुनिश्चित होना चाहिए कि किसी पक्ष के साथ अन्याय न हो।

तीन तलाक को दण्डनीय अपराध माने जाने के प्रावधान पर विपक्षी सदस्यों की आपत्ति को खारिज करते हुए ईरानी ने कहा कि इस्लामिक न्याय शास्त्र में भी इसे दण्डनीय अपराध माना गया है। उन्होंने इस्लाम के दूसरे खलीफा के दौर में हुई घटना का हवाला देते हुए कहा कि जब एक मर्द ने अन्याय पूर्ण तरीके से एक महिला को तलाक दिया तो खलीफा ने उसे 40 कोड़े मारे जाने का दंड दिया। ईरानी के इस कथन पर कुछ विपक्षी सदस्यों ने उनसे दूसरे खलीफा का नाम पूछा तो स्मृति ने कहा कि जिस दिन आप हनुमान चालीसा पढ़ने लगेगें, उस दिन दूसरे खलीफा का नाम पूछ सकते हैं।

कपड़ा मंत्री ने कहा कि सती प्रथा और दहेज प्रथा को सदन ने दंडनीय अपराध माना है। इसी तर्ज पर तीन तलाक का कुप्रथा के लिए भी दण्डनीय अपराध का प्रावधान किया गया है।

उन्होंने कहा कि तीन तलाक को उच्चतम न्यायालय द्वारा गैर कानूनी घोषित किए जाने के बाद से अब तक 477 महिलाओं को तीन तलाक का शिकार होना पड़ा है। सदन पर यह नैतिक जिम्मेदारी है कि यदि एक भी महिला अन्याय का शिकार होती है तो उस महिला को न्याय दिलाने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के मो. सलीम और अन्य विपक्षी सदस्यों पर विधेयक के बारे में भ्रामक तर्क पेश किए जाने की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि 'तू इधर उधर की बात न कर, ये बता कि कारवां क्यूं लूटा'। उन्होंने माकपा सदस्य सलीम के इस तर्क का उल्लेख किया कि धर्म-जाति से उठकर सभी महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए। ईरानी ने कहा कि माकपा सदस्य ने प्रकारांतर से समान नागरिक संहिता का समर्थन किया है। इसके लिए वह बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि यह पहला अवसर है जब माकपा ने समान नागरिक संहिता का पक्ष लिया है।

चर्चा में भाग लेते हुए माकपा के मो. सलीम ने कहा कि सरकार मुस्लिम महिलाओं की स्थिति को लेकर घड़ियाली आसूं बहा रही है। उसे मुस्लिम महिलाओं की समस्याओं से कोई हमदर्दी नहीं है बल्कि वह अपनी सांप्रदायिक नीतियों के चलते मुस्लिम समुदाय को निशाना बना रही है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों के सामने आज सबसे बड़ी समस्या सुरक्षा को लेकर है। मोदी सरकार के दौरान मुसलमान असुरक्षित हैं और उनकी जीविका खतरे में है। इस संबंध में उन्होंने बुलंदशहर आदि स्थानों पर हुई सांप्रदायिक हिंसा का जिक्र किया।

मो. सलीम ने जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर संकेत करते हुए उनके एक कथित बयान का हवाला दिया तो सदन में भारी शोरगुल हुआ। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने माकपा सदस्य के कथन को सदन की कार्यवाही से निकालने का आग्रह किया। लोकसभा उपाध्यक्ष थंबीदुरई ने संबंधित कथन को दर्ज न किए जाने के निर्देश दिए।

सलीम ने कहा कि नए विधेयक में सेक्शन-7 बरकरार रखा गया है, जिसमें तीन तलाक को अपराध माना गया है। विपक्ष की मुख्य आपत्ति इसी प्रावधान को लेकर है। उन्होंने कहा कि सरकार यदि वास्तव में मुस्लिम समुदाय की हितैषी है तो उसे सच्चर समिति की उन सिफारिशों को लागू करना चाहिए, जिसमें अल्पसंख्यकों के आर्थिक एवं शैक्षिक स्थिति में सुधार के लिए सिफारिश की गई थी।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सुप्रिया सुले ने कहा कि वह विधेयक की भावना का समर्थन करती हैं लेकिन इसके प्रावधान सुसंगत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में वह अनेक मुस्लिम महिलाओं से मिली थीं, जिन्होंने तलाक देने वाले पति को जेल भिजवाने के प्रावधान का विरोध किया। सुप्रिया सुले ने कहा कि मोदी सरकार यदि वास्तव में महिलाओं का हित चाहती है तो उसे संसद और विधान सभाओं में महिला आरक्षण का विधेयक पारित कराना चाहिए।

समाजवादी पार्टी के धर्मेन्द्र यादव ने तीन तलाक को अपराध मानने के प्रावधान का विरोध किया।

Updated : 5 Jan 2019 9:20 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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