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सुषमा स्वराज बोलीं - शोकमय से अटलमय हुआ हिन्दी सम्मेलन

भारत की धरती से दूर केन्द्रीय मंत्रियों और राज्यपालों का काव्यपाठ

सुषमा स्वराज बोलीं - शोकमय से अटलमय हुआ हिन्दी सम्मेलन
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मॉरिशस। शायद ही कभी ऐसा हुआ हो जब एक ही मंच से भारत के दो-दो केन्द्रीय मंत्रियों और दो-दो राज्यपालों ने आधी रात के समय एक साथ कभी काव्यपाठ किया हो। वह भी भारत की धरती से बहुत दूर, समुद्र के बीच घिरे टापूनुमा एक देश में। पर मॉरिशस में आयोजित 11 वें विश्व हिन्दी सम्मेलन के दौरान यह अद्भुत संयोग देखने को मिला।

संयुक्त राष्ट्र संघ में सबसे पहले हिन्दी में भाषण देकर अटल बिहारी वाजपेयी वैसे ही हिन्दी प्रेमियों के हृदय सम्राट बन गए थे। उसके बाद उनकी कविताओं और हिन्दी में भाषण ने देश-दुनिया के लोगों के दिलों में बड़ी जगह बनाई थी। यही कारण है कि उनके निधन के दो दिन बाद ही मॉरिशस में हो रहे विश्व हिन्दी सम्मेलन पर शोक की छाया थी। एक समय में आयोजन को लेकर ही संदेह की स्थिति पैदा हो गई थी।

लेकिन अटल जी को इससे बड़ी श्रद्धांजलि नहीं हो सकती कि एक ही स्थान पर जुटा विश्व का हिन्दी समुदाय उन्हें दिल से याद कर रहा है। विश्वभर से जुटे कवियों ने 19 अगस्त की देर शाम अटल जी के नाम एक काव्यांजलि समारोह आयोजित किया था। यह काव्यांजलि रात के 12 बजे तक चली। इसमें शामिल हुए कवियों ने अटल जी के निधन पर रचित कविताओं का पाठ किया।

बड़ी बात यह कि समापन के समय आधी रात को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अटल जी की ही कविता का पाठ किया और कहा कि इस सम्मेलन पर अटल जी के शोक की छाया थी, अब यह सम्मेलन अटलमय हो गया है। उनको विश्व भर के अनेक देश श्रद्धांजलि देंगे और देशभर में बहुत से कार्यक्रम होंगे, पर उनके निधन के तुरंत बाद विश्व हिन्दी के मंच से जो श्रद्धांजलि दी गई है, वह सबसे अनूठी और अविस्मरणीय रहेगी।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने अटल जी के निधन पर स्वरचित लंबी कविता का पाठ किया। गोवा की राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा ने भी बटोहिया नामक वह भोजपुरी गीत लोगों को सुनाया जो अटल जी को बहुत प्रिय था और वे आग्रहपूर्वक मृदुला सिन्हा से सुना करते थे। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री सत्यापाल सिंह ने भी स्वरचित कविताओं का अंश सुनाकर लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया कि मुंबई पुलिस के प्रमुख रहे एक व्यक्ति में कितनी प्रतिभाएं छिपी हैं।

इस काव्यांजलि समारोह में भारत विश्वभर से आए जिन कवियों ने गीतों-छंदों के माध्यम से अटल जी को काव्यांजलि प्रस्तुत की उनमें प्रमुख नाम हैं- प्रसून जोशी, अशोक चक्रधर, कुंवर बेचैन और बलवीर सिंह। ओजपूर्ण कवि गजेन्द्र सोलंकी के संचालन में आयोजित इस काव्यांजलि समारोह में आचार्य देवेन्द्र दीपक (पीलीभीत), अनूप भार्गव (अमेरिका), सुमन दुबे (लखनऊ), अंजु घरभरनजी (मॉरिशस), गुलशन सुखलाल (मॉरिशस), पद्मश्री सुरेश दुबे (रायपुर), अनिल जोशी (फिजी), पद्मेश गुप्त (इंग्लैंड), सुरेश अवस्थी (कानपुर), ध्रवेन्द्र भदौरिया (बुलंदशहर), सरिता शर्मा (गाजियाबाद), कल्पना लाल (मॉरिशस), और मदन मोहन समर (भोपाल) ने भी अटल जी और हिन्दी पर कविताओं का पाठन कर लोगों के दिलों में अटल जी और हिन्दी के प्रेम को प्रकट किया। आधी रात तक बैठे रहे श्रोताओं ने उनका उत्साहवर्धन किया।

Updated : 20 Aug 2018 11:03 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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