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संयुक्त राष्ट्र महासचिव, अमेरिका और ब्रिटेन ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति के फैसले पर जताई चिंता

संयुक्त राष्ट्र महासचिव, अमेरिका और ब्रिटेन ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति के फैसले पर जताई चिंता
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कोलंबो। श्रीलंका में संसद भंग करने और चुनाव कराने के राष्ट्रपति के फैसले पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव और पश्चिमी देशों, खास तौर पर अमेरिका, ब्रिटेन ने कड़ा एतराज जताया है।

विदित हो कि शुक्रवार को राष्ट्रपति सिरीसेना ने संसद को भंग करने का आदेश जारी किया था। महिंदा राजपक्षे को विक्रमसिंघे की जगह प्रधानमंत्री नियुक्त करने के बाद नई सरकार के बहुमत साबित नहीं कर पाने की आशंका होने पर राष्ट्रपति ने यह फैसला लिया था। इस वजह से वहां राजनीतिक संकट और गहरा गया है। दक्षिण एवं मध्य एशिया मामले के अमेरिकी ब्यूरो ने ट्वीट कर कहा है कि अमेरिका श्रीलंका की राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर चिंतित है। इसमें कहा गया है कि स्थायित्व और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए लोकतंत्र का सम्मान होना चाहिए।

उधर, एशिया और प्रशांत के ब्रिटिश मंत्री मार्क फिल्ड ने भी संसद भंग करने के फैसले को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि श्रीलंका के दोस्त होने के नाते ब्रिटेन सभी पक्षों से संविधान की सर्वोच्चता और लोकतंत्र के सम्मान की अपील करता है। अमेरिका, ब्रिटेन के अलावा कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने भी श्रीलंका के राजनीतिक हालात को लेकर टिप्पणी की है और चिंता जताई है। इस बीच विक्रमसिंघे के एक सहयोगी मंगला समरवीरा ने कहा कि उनकी पार्टी कोर्ट के इस फैसले के स्वीकार करती है कि संसद को भंग करना गैरकानूनी था और अंततः संसद में वोट का परीक्षण किया जाएगा और सदन में बहुमत साबित होगा।

समरवीरा ने संवाददाता से कहा, " हम दिखाएंगे कि संसद में हमारे पास बहुमत है। हम दिखाएंगे कि तानाशाह राष्ट्रपति ने एक ऐसी सरकार को बर्खास्त किया है, जिसके पास संसद में बहुमत है।"

संयुक्त राष्ट्र संघ महासचिव एंटोनियो गुतरेस ने भी श्रीलंकाई राष्टपति के फैसले पर चिंता जताई है। उनके उप प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर कहा है कि राष्ट्रपति सिरीसेना से लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान करने और कानून के शासन के अनुरूप मतभेद दूर करने को कहा है।

Updated : 14 Nov 2018 3:47 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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