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पाक को आईएमएफ से कर्ज मिलना आसान नहीं

पाक को आईएमएफ से कर्ज मिलना आसान नहीं
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वाशिंगटन/इस्लामाबाद/स्वदेश वेब डेस्क। महा आर्थिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान आखिरकार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमफ़) की शरण में गया है, लेकिन उसकी राहें आसान नहीं दिख रही हैं। बीबीसी के अनुसार, अमरीका ने कहा है कि वह पाकिस्तान की इस पहल पर नजर बनाए हुए है। चूंकि पाकिसतान पहले से चीनी कर्ज तले दबा हुआ है, इसलिए उसकी समीक्षा जरूरी है।

विदित हो कि अमरीकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीदर नौर्ट ने कहा था कि पाकिस्तान को आईएमएफ से किसी भी तरह के कर्ज मिलने से पहले उस पर बाकी कर्जों की समीक्षा की जाएगी। इससे पहले अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी पाकिस्तान को कर्ज देने को लेकर आईएमएफ को आगाह किया था। अमरीका के इस कड़े तेवर पर अब पाकिस्तान ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इंडोनेशिया में विश्व बैंक और आईएमफ की वार्षिक बैठक से वापस लौटे पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर ने अमरीका के समीक्षा वाले बयान को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि आईएमएफ से किसे फंड मिले और किसे नहीं, इस पर अमरीका को वीटो पावर नहीं है। हालांकि अमरीका के इस रुख से पाकिस्तान के लिए आईएमएफ से कर्ज लेना आसान नहीं होगा, क्योंकि आईएमएफ़ में अमरीका सबसे बड़ा अंशदाता है और उसके पास 17.68 फ़ीसदी वोट हैं, जबकि चीन तीसरे स्थान पर है और उसके पास सिर्फ 6.49 मत हैं। उमर ने पाकिस्तान के आईएमएफ जाने के फैसले पर कहा कि पाकिस्तान के पास कोई और विकल्प नहीं था। असद उमर ने कहा कि पाकिस्तान को तत्काल 12 अरब डॉलर की जरूरत है और यह कर्ज नहीं मिलता है तो हालात बदतर हो जाएंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि आर्थिक संकट से निकलने की कोशिशें जारी हैं और बाकी स्रोतों से भी विदेशी मुद्रा जुटाने का विकल्प देखा जा रहा है।

असद उमर ने कहा, ''हमलोग आईएमएफ 19वीं बार जा रहे हैं और उम्मीद है कि यह आखिरी बार होगा। आईएमएफ की टीम सात नवंबर को पाकिस्तान आएगी और प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।''उमर ने कहा कि पाकिस्तान आईएमएफ की उन शर्तों को नहीं मानेगा जिनसे देश्हत प्रभावित होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि देश ने सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और चीन की मदद के बदले कोई शर्त नहीं मानी है। पाकिस्तानी वित्त मंत्री ने यह भी कहा है कि पाकिस्तान चीन से लिए कर्ज की जानकारी आईएमएफ से साझा करेगा। हालांकि इससे पहले पाकिस्तान ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था। उमर ने कहा कि चुनावी अभियान के दौरान इमरान खान ने आईएमएफ नहीं जाने की बात कही थी, लेकिन सरकार बनने के बाद उन्हें लगा कि इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है।

विदित हो कि नवाज शरीफ की सरकार में अर्थव्यवस्था पिछले 13 सालों में उच्च दर के साथ आगे बढ़ रही थी, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता आने के बाद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भी अस्थिर हुई है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की सबसे जटिल समस्या यह है कि कोई विदेशी निवेश नहीं आ रहा है। साल 2018 में महज 2.67 अरब डॉलर का निवेश आया था, जबकि चालू खाता घाटा 18 अरब डॉलर का रहा।

Updated : 14 Oct 2018 4:36 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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