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इस्लामाबाद में तालिबान वार्ता के रद्द होने से पाकिस्तान के मुंह पर करारा तमाचा

इस्लामाबाद में तालिबान वार्ता के रद्द होने से पाकिस्तान के मुंह पर करारा तमाचा
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लॉस एंजेल्स| पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बुलावे पर मंगलवार को होने वाली तालिबान के साथ अफगानिस्तान शांति वार्ता रद्द होने से पाकिस्तान के मुंह पर करारा तमाचा लगा है। अफगानिस्तान ने इस वार्ता के शुरू होने के चंद घंटों पूर्व संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को एक पत्र लिख कर इस वार्ता को अफगानिस्तान की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए एक ख़तरा बताया था। इस वार्ता में अफगानिस्तान सरकार को कोई न्यौता नहीं दिया गया था और न ही इस वार्ता को लेकर अमेरिकी प्रतिनिधि जलमय खलीलजाद की ओर से ही कोई सहमति दी गई थी। यही नहीं, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तो भारत और ईरान में पाकिस्तान के प्रश्रय में पल रहे जैश ए मुहम्मद और जैश ए अल अदल की ओर से जारी आतंकी हमलों की करारी निंदा की थी, जिस पर दोनों देशों के बीच इस समय भारी तनाव व्याप्त है। बताया जाता है कि पाकिस्तान, रूस और चीन अपने निजी हितों के मद्देनजर तालिबान के एक गुट को राजी करने और अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हैं।

न्यूयॉर्क स्थित अफगानिस्तान के प्रतिनिधि ने रविवार को संयुक्त राष्ट्र स्थित सुरक्षा परिषद को लिखे पत्र में कहा था कि इमरान खान का एक सशस्त्र मिलिटेंट ग्रुप तालिबान को निमंत्रण देना मिलिटेंट तालिबान के कार्यों को वैध ठहराना और मान्यता प्रदान करना है, जिसे वह कदापि स्वीकार नहीं कर सकता। इस्लामाबाद वार्ता के लिए अमेरिका ने भी कोई सहमति नहीं दी थी। इस विरोध प्रदर्शन के बाद तालिबान ने पाकिस्तान वार्ता को अधिकृत तौर पर रद्द कर दिया। इस वार्ता में तालिबान के एक 15 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल के सोमवार को इस्लामाबाद पहुंचने के कयास लगाए जा रहे थे। इनमें से पांच सदस्य वे थे, जो अमेरिका की 'गवंटेनेमो बे जेल' से रिहा किए गए थे, लेकिन उनकी विदेशी यात्राओं पर प्रतिबंध थे। अशरफ गनी सरकार ने स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान सरकार ने मास्को में हुई तालिबानी वार्ता के लिए भी विरोध दर्ज कराया था, जिसमें अफगानिस्तान सरकार को कोई न्यौता नहीं दिया गया था। अफगानिस्तान सरकार का स्पष्ट मत रहा है कि उनकी ओर से अधिकृत प्रतिनिधिमंडल के वार्ता में भाग लिए बिना वह ऐसी किसी भी वार्ता के औचित्य को सही नहीं ठहरा सकते। इस संबंध में भारत सरकार का भी यही मत रहा है कि वार्ता अफगानिस्तान की चुनी हुई सरकार के नेतृत्व में हो। विदित हो, अमेरिकी विशेष प्रतिनिधि जलमय खलीलजाद और तालिबान के बीच कतर में 25 फरवरी को वार्ता तय की गई थी, लेकिन सऊदी अरब के शहजादे मुहम्मद बिन सलमान की इस्लामाबाद यात्रा के मद्देनजर इमरान खान ने सऊदी, चीनी और पाकिस्तानी हितों को लेकर तालिबान से वार्ता के लिए निमंत्रण दिया था। उधर अशरफ गनी ने शनिवार को वारसा में नाटो के महासचिव जेंस स्टोलनबर्ग से अफगानिस्तान में शांति और सुरक्षा के सिलसिले में बातचीत की। तालिबान के प्रवक्ता जबिल्लाह मुजाहिद ने अधिकृत तौर पर मीडिया को इस्लामाबाद वार्ता भंग होने की जानकारी दी।

Updated : 18 Feb 2019 6:36 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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