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यूसए में सीनेट रक्षा खर्च से जुड़ा बिल पास

यूसए में सीनेट रक्षा खर्च से जुड़ा बिल पास
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वाशिंगटन। अमेरिकी कांग्रेस ने बुधवार को वार्षिक रक्षा नीति विधेयक पारित कर दिया जिसमें भारत और ताइवान के साथ सुरक्षा संबंध प्रगाढ़ किए जाने पर जोर दिया गया है, वहीं इसमें दक्षिण चीन सागर में चीन पर अंकुश लगाए जाने के भी संकेत हैं।

इस विधेयक के आलोक में सीनेट ने भी अगले वित्त वर्ष के लिए अब तक के सबसे बड़े 716 अरब डाॅलर के वार्षिक रक्षा बजट को पारित किया है। रक्षा विश्लेषकों की मानें तो इस रक्षा नीति विधेयक के पारित होने से अमेरिका को दक्षिण चीन सागर में अपना प्रभाव बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे अमेरिका अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल के साथ चीनी प्रचार पर अंकुश लगा पाएगा।दक्षिण चीन सागर में चीन की सैन्य गतिविधियां बढ़ने से पड़ोसी मित्र देश खासतौर पर जापान, मलेशिया, ताईवान, विएतनाम और ब्रुनेई हताश-निराश थे।

अमेरिका ने प्रशांत क्षेत्र में 26 देशों के संयुक्त नौसेनिक अभ्यास से भी चीन को तब तक के लिए किनारा कर दिया है, जब तक वह दक्षिण चीन सागर युधाभ्यास बंद नहीं कर देगा। सीनेट में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्यों ने पार्टी लाइन से ऊपर उठ कर अगले वर्ष के लिए जो रक्षा बजट पारित किया है, उसे अमेरिकी इतिहास और दुनिया में अब तक का सबसे बड़ा रक्षा बजट कहा जा रहा है। इस पर राष्ट्रपति की स्वीकृति जरूरी है।

इस रक्षा नीति विधेयक के पारित होने के बाद अमेरिका हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपनी एशियाई सामरिक रणनीति पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा। इस क्षेत्र से प्रति वर्ष 1.4 खरब डाॅलर का मुक्त व्यापार हो रहा है, जिसे बढ़ाए जाने की जरूरत पर बल दिया जा रहा है। अमेरिका ने हाल ही में भारत को एक बड़े रक्षा साझीदार के रूप में स्वीकार करते हुए दोनों देशों के रिश्तों में विस्तार देने पर जोर दिया है। भारत की रक्षा जरूरतें बढ़ी हैं। अमेरिकी रक्षा कम्पनियों ने भारत से कालांतर में रूस से अधिक समझौते किए हैं। भारत ने पिछले तीन सालों में अमेरिकी रक्षा कम्पनियों से13.288अरब डॉलर के सौदे किए हैं जबकि रूस की कम्पनियों के साथ 12.83अरब के रक्षा सौदे हुए हैं।

Updated : 2 Aug 2018 2:02 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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