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अमेरिकी सेना हुई हताशा, तालिबानियों की अफीम की खेती पर नहीं लगा अंकुश

अमेरिकी सेना हुई हताशा, तालिबानियों की अफीम की खेती पर नहीं लगा अंकुश
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लॉस एंजेल्स। अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान में तालिबानियों की अफीम की खेती पर अंकुश हो नहीं पा रहा है। इससे अमेरिकी सेना को तो हताशा हुई है, जबकि तालिबान के हौसले कम नहीं हुए हैं। अफगानिस्तान में दुनिया की 85 प्रतिशत अफ़ीम की खेती होती है। इसकी 8.6 अरब डालर की लागत लगाई जा रही है। इसमें से क़रीब 60 प्रतिशत की कमाई पर तालिबान ज़बरन हाथ साफ़ कर लेता था। अमेरिकी सेना की कोशिश थी कि किसान गेहूं व अनार की खेती करें ताकि तालिबान का अंकुश कम हो और वह शांति वार्ता के लिए हाथ बढ़ाए।

अफगानिस्तान पुनर्निर्माण इंस्पेक्टर की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी सेना का अफ़ीम खेती पर अंकुश लगाए जाने पर कोई असर नहीं हुआ। अमेरिकी सेना ने अफ़ग़ान सेना की मदद से कीटनाशक दवाएं अफ़ीम के खेतों पर डालीं, फ़सलें जलाई गाईं और स्टोर पर क़ब्ज़े किए गए। अमेरिकी सेना ने अफ़ीम के 200 ठिकानों पर पुरज़ोर कोशिश की थी।

अमेरिका के एक प्रतिष्ठित दैनिक के अनुसार राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आगमन के बाद दक्षिण एशियाई रणनीति के अंतर्गत गत नवम्बर में मुख्यतया हैलमंड प्रांत (अफगानिस्तान) में अफ़ीम खेती पर फ़ोकस किया गया था, ठीक उसी तरह जैसे इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों पर अंकुश लगाने के लिए सीरिया और इराक़ में उनकी आमदनी के स्रोत तेल के कुओं पर हवाई आक्रमण किए गए थे। तब इस्लामिक स्टेट की आमदनी 90 प्रतिशत कम हो गई थी। लेकिन तालिबान ने अफगानिस्तान में लूटपाट ज़्यादा मचाते हुए कर बढ़ा दिए। इसका असर ज़्यादा नहीं हुआ।

Updated : 10 Aug 2018 12:34 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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