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'पंगा' लेने वाली कंगना रनौत को पद्मश्री सम्मान

विवेक पाठक

पंगा लेने वाली कंगना रनौत को पद्मश्री सम्मान
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एक घरेलू महिला के कबड्डी मैदान पर शादी के बाद फिर उतरने की बेहतरीन कहानी है पंगा। पंगा में कंगना ने आम भारतीय महिलाओं को शादी के बाद दूसरी पारी शुरु करने का पंगा लेना सिखाया है और जिंदगी में ऐसे पंगा बराबर लेते रहने का हौसला लिया है। पंगा वाली कंगना रनौत को गणतंत्र दिवस पर पद्श्री का नई दिल्ली से ऐलान हुआ है ऐसे में उनके लिए लख-लख बधाइयां।

लगे हाथ पंगा ने पद्मश्री पर भी पंगा वाली बात कर दी है। उन्होंने बड़े खुलेपन से कह दिया है कि पद्मश्री उन्हें चार साल पहले मिल रहा था मगर उनके साथी कलाकारों ने उनके संबंध में विवाद खड़ा कर उनका नाम कटा दिया और फिर पद्श्री प्रियंका चोपड़ा को मिला।

वाकई ऐसी साफगोई आजकल देखने को नहीं मिलती। सीएए को लेकर किए जा रहे विरोध प्रदर्शन पर वे बिना लागलपेट के बोली हैं। कंगना ने साफ कहा है कि टुकड़े टुकड़े गैंग के काम और विचार देश के खिलाफ हैं इसलिए वे इस गैंग और उनके समर्थकों के खिलाफ हैं। उन्होंने कन्हैया कुमार के आंदोलन को जेएनयू जाकर समर्थन करने वाली दीपिका पादुकोण को भी लगे हाथ नसीहत दे डाली है। सैफ अली खान जब भारत की अवधारणा को ब्रिटिश राज की देन बताते हैं तो मुंबई सिनेमा से बाकी कोई नहीं आता जो अपनी बात रखे। वे भी नहीं बोलते जो सालों साल देशभक्तिपूर्ण फिल्में करके शोहरत कमाते रहे हैं। सैफ को सटीक जवाब देने ढाई किलो का हाथ वाले सन्नी देयोल भी मुंह नहीं खोलते ऐसे में कंगना ही पंगा लेने वाली पहली सिने शख्सियत हैं। कंगना ने सैफ को जवाब देने के लिए उनसे सीधा सवाल दागा कि भारत नहीं था तो महाभारत क्या था। कंगना ने सैफ की बात को सिरे से नकारकर साफ कहा कि पांच हजार साल पुरानी सभ्यता को नकार कर आखिर सैफ कहना क्या चाहते हैं। भारत हजारों साल पुरानी सभ्यता और संस्कृति है जिसके प्रमाण रामायण महाभारत से लेकर हमारे तमाम ऐतिहासिक ग्रंथ हैं। कंगना ने सैफ को सख्ती से हिदायत देकर साफ संदेश दिया है। हिन्दी सिनेमा में रील लाइफ के बाद रियल लाइफ में भी सक्रियता कम ही देखने को मिलती है। ऐसे में कंगना रनौत जैसे कलाकार एक अच्छी आशा दिखाते हैं। देशहित में दिए गए उनके बयान करोड़ों प्रशंसकों को सही संदेश दे सकते हैं। कश्मीर में विभाजनकारी धारा 370 और सीएए कानून को सही बताकर वे राष्ट्रवाद को मुखरता से व्यक्त करने वाली कलाकार बन गयीं हैं। फिल्मों के चयन और उसमें अदाकारी के जरिए भी उनकी मानसिक मजबूती साफ दिखती है। महारानी लक्ष्मीबाई पर केन्द्रित मणिकर्णिका, तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता पर केन्द्रित थलायवी और हाल ही में आई जुझारु मीनू की कहानी पंगा उनकी वे खास फिल्में हैं जो उन्हें दूसरी अभिनेत्रियों से अलग करती हैं। कंगना की मणिकर्णिका उनके दम पर चली है तो पंगा उनकी अदाकारी को देखते हुए चल रही है। थलायवी में भी देश के करोड़ों दर्शक उन्हें ही देखने जाएंगे कि वे जे. जयललिता के किरदार में कैसी दिखीं। कुल मिलाकर अदाकारी के लिए खुद से और देश के लिए दूसरे बहुतों से पंगा लेने वाली कंगना रनौत वाकई काबिले तारीफ अभिनेत्री हैं जिनके हौसले, अभिनय, संवाद शैली और साफगोई की खुलकर प्रशंसा की जानी चाहिए।

Updated : 2 Feb 2020 12:20 PM GMT
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