तापसी पन्नू लगाएंगी 'हिंसक कबीर सिंह' को थप्पड़
विवेक पाठक
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यार दोस्तों की पार्टी में पत्नी पति को झगड़े से दूर ले जाना चाह रही है मगर गुस्से में बेकाबू पति पत्नी पर ही फट पड़ता है और गाल पर जड़ देता है जोर से थप्पड़। बस यहीं से पति पत्नी का रिश्ता अलग होने की कहानी शुरु होती है। अभिनेत्री तापसी पन्नू कहती हैं सिर्फ एक थप्पड़ नहीं है ये। क्यों इसे भूल जाउं।
बहुत खूब अनुभव सिन्हा की इस फिल्म की तारीफ करनी ही होगी। तारीफ बहुत सारी वो भी खुलकर। उन्होंने लंबे अर्से बाद एक बेहतर फिल्म बनाई है। अपने निजी विचार को पहली बार वे एक तरफ रखने का जो कदम उठा पाए हैं उसके लिए शुक्रिया बेशक वे अपनी हर फिल्म में वे अपना निजी विचार परोसने की स्वतंत्रता रखते हैं मगर कम से कम वह निजी विचार सच के करीब तो हो। सच में पगा सार्थक सिनेमा देखना अ'छा लगता है। आप सार्थक सिनेमा का दावा करते हैं मगर मुल्क जैसी थोपी जाने वाली फिल्म दिखाते हैं जो दर्द तो होता ही है। अगर अनुभव सिन्हा ने मुल्क फिल्म के जरिए एक नकारात्मक विचार को सिने मंच दिया था तो आज वे थप्पड़ के जरिए एक सकारात्मक विचार सिने दुनिया को दे रहे हैं। बहुत खूब सिन्हा साहेब। आपसे आगे भी सार्थक फिल्मों की गुजारिश रहेगी। तो बात फिर थप्पड़ की।
थप्पड़ फिल्म पुरुषों के अहंकार पर जोरदार थप्पड़ है। यह फिल्म घरेलू हिंसा पर थप्पड़ है, घर में महिलाओं से मारपीट करने वालों पर थप्पड़ है। महिलाओं के प्रति अत्याचार करने वालों पर थप्पड़ है, महिलाओं को कमजोर और अपना गुलाम मानने वाले अपने ही तरफ वालों पर थप्पड़ है। इस थप्पड़ की गूंज भी दम से सुनाई देती है। फिल्म ने अपनी प्रेमिका को गरियाने, धमकाने और इकतरफा आकर्षण को प्रेम का दर्जा देने वाली शाहिद कपूर अभिनीत फिल्म कबीर सिंह को इतना जोरदार थप्पड़ लगाया है कि इसकी गूंज भी दम से सुनाई दे रही है। तापसी पन्नू की थप्पड़ में महिला अभिनेत्री की जीवटता कबीर सिंह की कमजोर डरी हुई प्रीति को सहारा सा देती नजर आती है। कियारा आडवाणी को इस फिल्म में जितना कमजोर मजबूर और डरा हुआ बताया गया है इसकी पूरी कसर अनुभव सिन्हा की थप्पड़
निकालती नजर आती है। यह फिल्म अधिकार की बात करती है। बराबरी की बात करती है। महिला गौरव, बराबरी और आत्मसम्मान की बात करती है। पति महिला का बहुत कुछ है मगर थप्पड़ मारने के हक के लिए सब कुछ नहीं है बल्कि कुछ भी नहीं है। तापसी पन्नू की तारीफ करनी होगी कि वे केन्द्रीय भूमिका वाली फिल्मों की ओर तेजी से सफल होती दिख रही हैं। मुल्क में भी उनकी एक्टिंग में कोई कमी नहीं थी । केवल कमी थी फिल्म के विचार और निर्देशक की विचारधारा में। वे पिंक में भी अमिताभ के सामने जोरदार अभिनय के साथ दिखीं थीं। बेबी में तो हमने उनका एक्शन देखा ही था तो एकदम लाजबाब था। तो तैयार रहिए। तापसी एक बार फिर अपनी दमदार अदाकारी के साथ सामने आ रही हैं। थप्पड़ में थप्पड़ लगाने का विचार रखने वालों पर जोरदार थप्पड़ जडऩे वाली हैं। बधाई तापसी, बधाई अनुभव। इस बार काम एकदम झन्नाट किए हो।
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