मुम्बई/स्वदेश वेब डेस्क। अपने शानदार डायलॉग्स की वजह से फिल्मी दुनिया और हिंदी फिल्मों के दर्शकों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। उन्होंने 'हिंदी फिल्मों में अपने अभिनय के क्षेत्र में नई राह स्थापित की है।' वे 50 के दशक से लेकर 90 के दशक तक फिल्मों में सक्रिय रहे। अंत के दिनों में सौदागर और तिरंगा जैसी फिल्मों में उन्होंने शानदार रोल प्ले किए और बता दिया कि क्यों वे एक सदाबहार अभिनेता थे। उनकी शख्सियत भी औरों से जुदा थी।
ज्ञात हो कि राज कुमार का जन्म 08 अक्टूबर 1926 बलूचिस्तान में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है। इनका नाम कुलभूषण पंडित था लेकिन फिल्मी दुनिया में ये अपने दूसरे नाम 'राज कुमार' के नाम से प्रसिद्ध हैं। पारम्परिक पारसी थियेटर की संवाद अदाइगी को इन्होंने अपनाया और यही उनकी विशेष पहचान बनी। इनके द्वारा अभिनीत प्रसिद्ध फिल्मों में तिरंगा, पैगाम, वक्त, नीलकमल, पाकीज़ा, मर्यादा, हीर रांझा, सौदाग़र आदि हैं। हिंदी फिल्मों के इनके कुछ डायलॉग्स ऐसे हैं जो सदाबहार हैं। लंबी बीमारी के बाद 3 जुलाई 1996 को मुंबई के एक अस्पताल में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था।