भारत, दुनिया में इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा स्टील निर्माता देश बना
Swadesh Digital | 14 Jun 2018 8:40 PM GMT
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एेलान किया है कि पिछले चार साल की कड़ी मेहनत के चलते अब भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश बन गया है। इस आशय की घोषणा बुधवार को केंद्रीय इस्पात मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह ने की। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादन करने वाला देश बन गया है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में भारत ने 100 मिलियन टन से अधिक इस्पात का उत्पादन किया। भारत सरकार द्वारा विभिन्न नीतियों में बदलाव के कारण भारत इस्पात उद्योग वर्ष 2014-15 और 2015-16 के दौरान कठिनाइयों का सामना करके इनसे बाहर निकल आया है। राष्ट्रीय इस्पात नीति और डीएमआई एवं एसपी नीति को वर्ष 2017 में अधिसूचित किया गया था जिससे घरेलू उद्योग को प्रोत्साहन मिला।
इस्पात मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि केंद्रीय इस्पात मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह ने कलिंगानगर का दौरा किया और ओडिशा राज्य में स्थित मुख्य इस्पात उत्पादन करने वाली इकाइयों के प्रबंध निदेशकों और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ बातचीत की। बैठक में उद्योग क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने पैलेट विनिर्माण के लिए लौह अयस्क के उपयोग की बढ़ती हुई आवश्यकता के बारे में बात की, जिससे कीमती लौह अयस्क को संरक्षित किया जा सके।
चौधरी बीरेंद्र सिंह ने भारतीय इस्पात उद्योग की वृद्धि की चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। इनमें बंदरगाहों के विकास के क्षेत्र में संचालन और भारतीय रेल की बढ़ती क्षमता, कच्चे माल और तैयार माल को माल ढुलाई गलियारों तक पहुंचाने के लिए विशेष मालभाड़े कारिडोर का निर्माण आदि शामिल हैं। केंद्रीय इस्पात मंत्री ने आशा व्यक्त कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलजुल कर नीति एवं कार्य स्तर पर ओडिशा में उच्च स्तर उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करने का समाधान निकालेंगे।
इस्पात मंत्रालय के अनुसार ओडिशा देश का इस्पात उत्पादन करने वाला मुख्य राज्य है, जो देश में आधे से अधिक इस्पात का उत्पादन करता है। ओडिशा खनिज और खनन के क्षेत्र में धनी है। ओडिसा वर्ष 2030-31 तक के लिए राष्ट्रीय इस्पात नीति में उल्लिखित 300 मिलियन टन उत्पादन में से 100 मिलियन टन इस्पात उत्पादन की क्षमता रखता है। कलिंगानगर मुख्य औद्योगिक केंद्र है। लगभग 15 इस्पात संयंत्र इस क्षेत्र में स्थापित हैं जिनमें सार्वजनिक क्षेत्र के संयंत्र जैसे एनआईएनएल और निजी क्षेत्र के संयंत्र जैसे टाटा इस्पात, जिन्दल स्टेनलेस लिमिटेड, वीसा स्टील और एमईएससीओ शामिल हैं। वर्ष 2030 तक 300 मिलियन टन इस्पात उत्पादन के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कलिंगानगर से उत्पादन में वृद्धि और ओडिशा की अहम भूमिका होगी। इस्पात मंत्री ने आशा व्यक्त कि कलिंगानगर अनुप्रवाहित सुविधाओं के लिए संभावनाओं का विकास करेगा, जिसमें फेरो मिश्रधातु संयंत्र, वाहिनी लोहे के पाइप, इस्पात असबाब, बिजली घटक विनिर्माण और स्टेनलेस इस्पात इकाइयां शामिल हैं।
Updated : 15 Jun 2018 2:14 AM GMT
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स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in
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