देश में गाय के गोबर से बिजली बनाने के लिए दो विदेशी कंपनियों के बीच करार
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नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। कुछ विदेशी कंपनियां देश में गाय के गोबर से बिजली बनाने के व्यावसायिक अवसर की तलाश कर रही हैं। इसको लेकर पोलैंड की एक कंपनी ने हालैंड की स्टर्लिंग इंजन बनाने वाली एक कंपनी से करार किया है।
हालांकि देश में पहले से ही बायोमास जेनरेटरों में गाय के गोबर का इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन बायोगैस आधारित संयंत्रों को अभी तक कोई खास लोकप्रियता नहीं मिल पाई है।
उधर, ग्लोब सॉल्यूशंस के वाइस चेयरमैन मार्सिन विल्सजिन्सकी ने भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स के एक परिचर्चा सत्र में कहा है कि भारत में जिस प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने की कोशिश की जा रही है, उसके रख-रखाव की जरूरत नहीं पड़ती है और वह गाय के गोबर या किसी भी अन्य बायोमास के इस्तेमाल से प्रति घंटे एक किलोवाट या 1.8 किलोवाट बिजली का उत्पादन कर सकती है।
उन्होंने कहा कि इसमें प्रत्यक्ष दहन के लिए हालैंड की कंपनी माइक्रोजेन इंजन कॉरपोरेशन के स्टर्लिंग इंजन का इस्तेमाल किया जाता है जो कि सुरक्षित है तथा परिचालन में आसान है।
भारत चैंबर के अध्यक्ष सीताराम शर्मा ने कहा कि यूरोपीय देशों में डेनमार्क गाय के गोबर से 30 प्रतिशत बिजली बनाने का लक्ष्य तय कर रहा है।
राज्यसभा सांसद मनीष गुप्ता ने इसकी सराहना करते हुए कहा कि यह प्रौद्योगिकी उन राज्यों के लिए उपयोगी होगी, जहां बिजली उत्पादन कम है।
हालांकि ग्लोब सॉल्यूशंस ने इस तकनीक की कीमत का खुलासा अभी तक नहीं किया है।
Swadesh Digital
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