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अब एटीएम जाने क्यों हो रहे है बंद, पढ़े पूरी खबर

अब एटीएम जाने क्यों हो रहे है बंद, पढ़े पूरी खबर
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दिल्ली। देश में एटीएम से लेनदेन तेजी से बढ़ा है, पर इनकी संख्या दो-तीन साल में घट गई है। इससे शहरों के साथ कस्बों के लोग भी परेशान हैं। आरबीआई के डाटा पर आधारित ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।

बैंकों का कहना है कि आरबीआई के कड़े नियमों से एटीएम का संचालन महंगा हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में एटीएम की संख्या मार्च 2017 में दो लाख 30 हजार के करीब थी, जो अब करीब दस हजार घट गई है। विकसित देशों की तो बात छोड़ दें, ब्रिक्स देशों में भी तुलना करें प्रति लाख लोगों में भारत में एटीएम की संख्या काफी कम (महज 22) है। रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि एटीएम की संख्या आने वाले वक्त में और तेजी से घट सकती है। आरबीआई के दिशानिर्देश के बाद हैकिंग रोकने के लिए सिस्टम में नए सॉफ्टवेयर लगाने और उपकरणों को अपग्रेड करने की लागत काफी बढ़ गई है। एटीएम प्रदाता कंपनी हिताची पेमेंट सर्विसेज के एमडी रुस्तम ईरानी का कहना है कि इससे उन गरीब लोगों को दिक्कतें होंगी, जो नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग या वॉलेट का इस्तेमाल करने में असमर्थ हैं। दरअसल, एटीएम संचालक (बैंक और थर्ड पार्टी) एटीएम से डेबिट-क्रेडिट कार्ड के जरिये निकासी में 15 रुपये का इंटरचेंज शुल्क ग्राहक के बैंक से वसूलते हैं, लेकिन लागत बढ़ने से यह रकम एटीएम चलाने के लिए पर्याप्त नहीं हो रही है।

-देश में हजारों बैंक शाखाएं घटने से भी वहां संचालित एटीएम बंद हो गए

-थर्ड पार्टी एटीएम चलाना भी महंगा हुआ, छोटे लेनदेन से इनको हो रहा नुकसान

-नए सुरक्षा फीचरों से एटीएम की लागत बढ़ी, बैंक इसके लिए तैयार नहीं

-बैंकों ने फंसा कर्ज बढ़ने के बाद खर्च में कमी के लिए एटीएम घटाए या बढ़ाए नहीं

Updated : 16 May 2019 5:00 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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