- ग्वालियर समेत 32 जिलों में कल से होगी भारी बारिश, सोमवार के बाद मिलेगी राहत
- दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर CBI का बड़ा एक्शन, 20 ठिकानों पर मारा छापा
- रिपोर्ट : फाइजर कोविड वैक्सीन के ट्रायल में 44% गर्भवती महिलाओं ने बच्चों को खोया, भारत में नहीं मिली थी मंजूरी
- हरिहरेश्वर बीच पर मिली संदिग्ध नाव, भारी मात्रा में हथियार बरामद, हाई अलर्ट जारी
- मथुरा में शुरू हुआ कान्हा का 5249वां जन्मोत्सव, उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
- INDvsZIM : भारत ने जिम्बाब्वे को 10 विकेट से हराया, धवन और गिल ने लगाए अर्धशतक
- पश्चिम बंगाल में आतंकी साजिश नाकाम, अलकायदा के दो आतंकी गिरफ्तार
- बाहुबली मुख्तार अंसारी के घर ईडी का छापा, दिल्ली-लखनऊ सहित कई जगहों पर कार्रवाई
- शाहनवाज हुसैन पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट ने रेप केस दर्ज करने के दिए आदेश
- क्या पांच साल से कम उम्र के बच्चों का ट्रेन में लगेगा फुल टिकट? जानिए क्या है सच्चाई

इंसानियत व नारी गरिमा के लिए है तीन तलाक संबंधी विधेयकः रविशंकर प्रसाद
X
नई दिल्ली। शादीशुदा मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से निजात दिलाने संबंधी विधेयक पर गुरुवार को लोकसभा में चर्चा शुरू हो गई है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2018 को सदन में चर्चा के लिए पेश करते हुए कहा कि यह विधेयक किसी धर्म, संप्रदाय के खिलाफ नहीं बल्कि नारी सम्मान और उसकी गरिमा के लिए है। उन करोड़ों बहनों को उनका अधिकार दिलाने के लिए है जो तीन तलाक की तलवार के नीचे जीवन यापन कर रही हैं।
प्रसाद ने कहा कि यह विधेयक इंसानियत के लिए है। विधेयक पहले भी लोकसभा में चर्चा के बाद पारित हो चुका है किंतु राज्यसभा में यह कुछ कारणों से अटक गया। उस वक्त विपक्ष के सदस्यों ने विधेयक को लेकर कुछ सुझाव दिए थे, जिनका इस नए विधेयक में ख्याल रखा गया है।
केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2018 में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के मामले को गैर जमानती अपराध माना गया है लेकिन इस नए विधेयक में अब न्यायाधीश के पास पीड़ित का पक्ष सुनने के बाद सुलह कराने और जमानत देने का अधिकार होगा। नए विधेयक में किए गए संशोधनों के अनुसार मुकदमे से पहले पीड़ित का पक्ष सुनकर न्यायाधीश आरोपित को जमानत दे सकता है। इसके अलावा अब पीड़ित, उससे खून का रिश्ता रखने वाले और शादी के बाद बने उसके संबंधी ही पुलिस में मामला दर्ज करा स। संशोधित विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि न्यायाधीश के पास पति-पत्नी के बीच समझौता कराकर उनकी शादी बरकरार रखने का अधिकार होगा । इसके साथ ही एक बार में तीन तलाक की पीड़ित महिला मुआवजे का अधिकार दिया गया है।
प्रसाद ने सदन से आग्रह किया कि वह इस विधेयक पर चर्चा करें और उनके जो भी सुझाव उचित होंगे उस पर सरकार गंभीरता से विचार करेगी।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार तीन तलाक से संबंधित विधेयक पहले भी संसद में पेश कर चुकी है। लोकसभा से पारित होने के बाद वह विधेयक राज्यसभा में रुका पड़ा है। राज्यसभा में उक्त विधेयक को पारित कराने के लिए सरकार के पास पर्याप्त संख्या बल नहीं है और विपक्ष विधेयक के कुछ प्रावधानों को लेकर आपत्ति जताई थी। इसके मद्देनजर केंद्र सरकार ने विपक्ष की ओर से सुझाए गए कुछ संशोधनों को स्वीकार करते हुए गत सितम्बर माह में तीन तलाक को गैरकानूनी बताते हुए एक अध्यादेश जारी किया था। यह अध्यादेश अभी अस्तित्व में है। सरकार ने इस अध्यादेश के आधार पर ही आधारित एक नया विधेयक शीतकालीन सत्र में लोकसभा में पेश किया है।