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आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन एक बड़ी वैश्विक समस्या : ओम बिरला

आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन एक बड़ी वैश्विक समस्या : ओम बिरला
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नई दिल्ली/टोक्यो(जापान)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को कहा कि आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन एक बड़ी वैश्विक समस्या है, जिनसे समय रहते नहीं निपटा गया तो यह गंभीर आर्थिक संकट पैदा कर सकते हैं।

लोकसभा अध्यक्ष ने 'वैश्विक चुनौतियों के समाधान के प्रयास और सतत विकास लक्ष्य की उपलब्धि' विषय पर जापान के टोक्यो में आयोजित जी-20 देशों की संसदों के अध्यक्षों के सम्मेलन के तीसरे सत्र में पीठासीन अधिकारियों से अपने विचार साझा किए।

ओम बिरला ने कहा कि आज विश्व विभिन्न चुनौतियों से जूझ रहा है। यह न केवल विकास की दिशा में किए जा रहे प्रयासों में बाधा बन रही हैं बल्कि मानवता के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर रही हैं। यह समस्या है आतंकवाद और जवायु परिवर्तन।

बिरला ने कहा कि आतंकवाद न केवल समाज को नुकसान पहुंचाता है बल्कि इससे अर्थव्यवस्था को भी गंभीर नुकसान उठाने पड़ते हैं। यह मौजूदा विकास कार्यों को भी नष्ट कर देता है। वहीं जलवायु परिवर्तन न केवल हमारे ग्रह का स्वरूप बदल रहा है बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए गंभीर जोखिम और अस्थिरता का कारण बन रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर समान और साझी किन्तु अलग-अलग जिम्मेदारियों के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए एक समग्र तरीके से विचार किए जाने की आवश्यकता है।

बिरला ने यह भी उल्लेख किया कि वर्ष 2030 का एजेंडा और इसके अंतर्गत सतत विकास लक्ष्य भारत की अपनी विकास प्राथमिकताओं को दर्शाते हैं। भारत के राष्ट्रीय विकास के लक्ष्यों, सतत् विकास लक्ष्यों तथा 'सबका साथ - सबका विकास' के एजेंडे में एक सामंजस्य है। उन्होंने बताया कि विकास एजेंडे के लक्ष्य को प्राप्त करने की गति को बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने 'स्ट्रेटेजी फॉर न्यू इंडिया 75' योजना आरंभ की है। यह सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप है और जिसका उद्देश्य 2024 तक भारत को पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाना है।

इससे पहले ओम बिरला ने 'मानव केन्द्रित समाज की ओर नूतन प्रौद्योगिकी' के सदुपयोग विषय पर सेशन-2 में पीठासीन अधिकारियों को सम्बोधित किया। बिरला ने कहा कि आज प्रौद्योगिकी और नवाचार समाजों और अर्थव्यवस्थाओं में उस पद्धति में महत्वपूर्ण बदलाव ला रहे हैं, जिसके अंतर्गत उन्हें परिचालित किया जाता है।

बिरला ने कहा कि भारत के लिए डिजिटलीकरण पारदर्शी, समावेशी, सतत और प्रभावी ढंग से 01 अरब 32 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने का अभूतपूर्व अवसर प्रदान कर रहा है। आधार के माध्यम से भारत में 01 अरब 24 करोड़ लोगों को डिजिटल पहचान दी है। उन्होंने आगे बताया कि भारत यूपीआई आधारित भारत इंटरफेस फॉर मनी (भीम) के माध्यम से डिजिटल भुगतान के युग में प्रवेश कर रहा है और वित्तीय समावेशन की योजना, प्रधानमंत्री जन धन योजना के अंतर्गत 37 करोड़ से अधिक नये लाभार्थियों के बैंक खाते खोले गए हैं। बिरला ने कहा कि भारत में डिजिटल बदलाव ने स्त्री-पुरुष असमानता को भी सफलतापूर्वक कम किया है। भारत में आईटी सेवाउद्योग में लगभग4.14 मिलियन लोग कार्य कर कर रहे हैं, जिनमें से 30 प्रतिशत महिलाएं हैं।

बिरला ने कहा कि हमारी संसद के कामकाज में भी बहुत बदलाव आ रहा है। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग से न केवल कामकाज अधिक पारदर्शी और कुशलतापूर्वक हो रहा है बल्कि कार्य का निर्वहन अधिक प्रभावी ढंग से हो रहा है। बिरला मैक्सिको, इंडोनेशिया, रूस, नीदरलैंड और अन्य देशों के पीठासीन अधिकारियों से भी मिले।

Updated : 4 Nov 2019 2:38 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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