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ताजमहल के रखरखाव मामले में केंद्र, उप्र सरकार और एएसआई को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

ताजमहल के रखरखाव मामले में केंद्र, उप्र सरकार और एएसआई को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के रखरखाव को लेकर केंद्र सरकार, यूपी सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई कि टीटीजेड क्षेत्र में 1167 वायु प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई ताजमहल की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता है। जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा कि आप हलफनामा में कुछ कह रहे हैं, मौखिक रूप से कुछ कह रहे हैं और पर्दे के पीछे कुछ और ही चल रहा है। इसे स्वीकार करना काफी मुश्किल है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार ने जो विजन डॉक्यूमेंट बनाया है, उसमें एएसआई कहीं नहीं है। तब यूपी सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि एएसआई उद्योगों के रिलोकेशन के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र और यूपी एक-एक अफसर का नाम बताएं जो ताजमहल के संरक्षण के लिए जवाबदेह हो। इतने विभाग और लोग अपने-अपने तरीके से काम कर रहे हैं। किसी को पता ही नहीं है कि हो क्या रहा है?

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि ताजमहल को लेकर विजन डॉक्यूमेंट को ऑनलाइन परामर्श के लिए डालें। कोर्ट में कहा कि रीजनल प्लान और मास्टर प्लान को पूरा होने में महीने का समय लगेगा ,इस बीच क्या होगा?

24 जुलाई को ताजमहल के संरक्षण को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विजन डॉक्यूमेंट दाखिल किया था। करीब 250 पन्नों के विजन डॉक्यूमेंट में यूपी सरकार ने कहा था कि ताजमहल का इलाका प्लास्टिक मुक्त होना चाहिए । साथ ही इस इलाके में आनेवाले प्रदूषण वाले उद्योगों को बंद कर देना चाहिए । यूपी सरकार ने कहा था कि यमुना नदी के किनारे कोई निर्माण नही होना चाहिए।

विजन डॉक्यूमेंट में कहा गया था कि ताजमहल के आसपास पैदल आवागमन को प्रोत्साहन देने के लिए विस्तृत यातायात प्रबंधन की आवश्यकता है । इसमें यमुना किनारे सड़कें बनाने के बारे में सोचना चाहिए ताकि यातायात को रेगुलेट किया जा सके और पैदल आवागमन को बढ़ावा मिले।

यूपी सरकार ने कहा था कि यमुना नदी के मैदानी इलाकों में किसी भी प्रकार के निर्माण की अनुमति नहीं होनी चाहिए और नदी तट पर स्वाभाविक रुप से पौधों का विकास हो, ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाई थी । कोर्ट ने कहा था कि ताज महल के संरक्षण के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। कोर्ट ने कहा था कि ताज महल का संरक्षण करना होगा वरना हम बंद कर देंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एफिल टावर को देखने लाखों लोग आते है जबकि ताजमहल को देखने आने वालों की तादाद कम है । सुप्रीम कोर्ट ने टीटीजेड के चेयरमैन को तलब किया । सुप्रीम कोर्ट 31 जुलाई से इस मामले की रोजाना सुनवाई करेगा।

पिछले 9 मई को कोर्ट ने ताजमहल का रंग बदलने पर एएसआई को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि अगर एएसआई ने ठीक से काम किया होता तो ताजमहल की ये हालत नहीं होती। कोर्ट ने कहा था कि ताजमहल में कीड़े लग रहे हैं और आप कुछ नहीं कर रहे हैं। आप कीड़ों को रोकने के लिए क्या कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा था कि एएसआई समझना नहीं चाहता कि ताजमहल में समस्या है । दरअसल एएसआई ने बताया था कि ताज के बदलते रंग की वजह गंदे मोजे, कीड़े और काई हैं। तब कोर्ट ने कहा था क्या कीड़ों के पास पंख हैं जो उड़कर ताजमहल पर बैठ जाते हैं ।

कोर्ट ने कहा था कि 22 साल पहले 1996 में दिए हमारे आदेश पर अब तक अमल नहीं हो पाया है । केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह ताजमहल की रक्षा और संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की नियुक्ति पर विचार कर रहा है । कोर्ट ने कहा था कि एएसआई का यही स्टैंड है तो केंद्र ताजमहल के रखरखाव को दूसरा विकल्प तलाशे ।

Updated : 26 July 2018 6:56 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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