Home > देश > राम मंदिर : 31 जनवरी को प्रयागराज में होगा फैसला - आलोक कुमार

राम मंदिर : 31 जनवरी को प्रयागराज में होगा फैसला - आलोक कुमार

मंदिर निर्माण पर प्रधानमंत्री का बयान वचनबद्धता का परिचायक

राम मंदिर : 31 जनवरी को प्रयागराज में होगा फैसला - आलोक कुमार
X

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंदिर निर्माण पर दिए बयान के बाद विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने मंदिर निर्माण का फैसला अब संत समाज पर छोड़ दिया है। प्रयागराज में आयोजित होने वाले कुंभ में 31 जनवरी व एक फरवरी को धर्मसभा में संत समाज जो भी निर्णय लेगा, विश्व हिन्दू परिषद उसका अक्षरशः पालन करेगी। हिन्दू निराश नहीं है बल्कि मोदी की प्रतिबद्धता को लेकर गौरवान्वित है। मंदिर निर्माण पर मोदी के बयान के बाद संत समाज और विहिप के बीच सुगबुगाहट तेज हो गई है। शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के बाद उम्मीद की जा रही है कि जनता की इच्छा देखते हुए कोई रास्ता निकाला जाए।

प्रधानमंत्री के बयान को लेकर विहिप निराश नहीं है लेकिन सरकार के कार्यकाल की समय सीमा को देखते हुए विहिप चाहती है कि मंदिर निर्माण का कार्य इसी कार्यकाल में हो। बुधवार को विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार मीडिया के समक्ष पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। स्वदेश के साथ विशेष बातचीत में अलोक कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान क समर्थन किया जिसमें मोदी ने कहा है कि मंदिर निर्माण की प्रक्रिया में कांग्रेस कानूनी अडंगा डाल रही है। कांग्रेस अपने अधिवक्ताओं को आगे लाकर कानूनी पेच डाल देती है जिससे निर्माण प्रक्रिया में अवरोध खड़ा हो जाता है। लेकिन 69 साल के संघर्ष को यंू ही बेकार नहीं जाने दिया जाएगा। उनका मानना है कि संघ हमारा मार्गदर्शक है और विहिप संत समाज के फैसले को क्रियान्वित करवाने के प्रति वचनबद्ध है। यानी गेंद संत समाज के पाले में डाल दी गई है। पेश हंै बातचीत के अंश-

- मंदिर निर्माण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान कहीं राजग के सहयोगी दलों के दबाव में दिया गया बयान तो नहीं है।

- प्रधानमंत्री मोदी ने सहयोगियों के दबाव में यह बयान दिया या फिर स्वेच्छा से पर हमारा मानना है कि मंदिर निर्माण का कार्य इसी कार्यकाल में शुरू हो जाना चाहिए। सरकार के लिए इससे अच्छी और क्या बात हो सकती है कि वह पूर्ण बहुमत में है।

- प्रधानमंत्री के बयान से माना जा रहा है कि विहिप सरकार पर ठीक तरह से दबाव नहीं बना पाई। आप कहां तक सहमत हैं?

- नहीं ऐसी बात नहीं। रामलीला मैदान में श्रद्धालुओं व संत समाज की लाखों की भीड़ ने दिखा दिया है कि हिन्दू बहुसंख्यक समाज मंदिर निर्माण को लेकर अधीर हो रहा है। फिर अयोध्या और अन्य महानगरों में उमड़े जनसैलाब को देखते हुए कम से कम ऐसा तो नहीं कहा जा सकता है कि दबाव कम है।

- भारी बहुमत वाली मोदी सरकार संसद में मंदिर निर्माण पर अध्यादेश क्यों नहीं ला पा रही है? इसके पीछे आप किन कानूनी अड़चनों को गिनाएंगे?

- मंदिर निर्माण का मसला पिछले 69 सालों से अदालत में चला आ रहा है। 2011 से यह लंबित है। 2019 के प्रथम सप्ताह में जिस बेंच को इसे सुना जाना था, अब तक उस बेंच का गठन नहीं होने के कारण इसे टाल दिया गया है। अदालत द्वारा टालने की प्रक्रिया से विहिप अब ज्यादा इंतजार नहीं करना चाहती। इसीलिए हम चाहते हैं सरकार संसद में अध्यादेश लाकर रास्ता निकाले।

- लेकिन शीत कालीन सत्र तो समाप्ति की ओर है, ऐसे मंे लगता नहीं है कि सरकार अध्यादेश जैसा जटिल कार्य कर पाएगी।

- संसद की कार्यवाही कोई अंतिम नहीं है। आगे फिर 28 फरवरी से संसद की कार्यवाही चलनी है। हम फिर सरकार पर दबाव बनाएंगे। हमारा मानना है जब तक मंदिर निर्माण का कार्य नहीं हो जाता हम सरकार पर दबाव बनाते रहेंगे। सरकार से आग्रह करते रहेंगे।

- श्रीराम जन्मभूमि का मामला अदालत के विचाराधीन होने के चलते कोई संस्था या संगठन के लिए कैसे संभव है कि वह कार्यवाही को अंजाम दे।

- हम सबकी न्यायालय के प्रति अगाध श्रद्धा है पर मंदिर निर्माण जनभावना का प्रकटीकरण है। अदालत इस जनभावना का सम्मान करते हुए फौरी तौर पर फैसला सुनाए पर हिन्दू समाज को मंदिर निर्माझा से कम कोई समझौता मंजूर नहीं। इसीलिए सरकार से बार-बार आग्रह किया जा रहा है कि वह कोई रास्ता निकाले।

Updated : 5 Jan 2019 9:46 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top