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देश की विभिन्न अदालतों में 3.3 करोड़ मामले लंबित

देश की विभिन्न अदालतों में 3.3 करोड़ मामले लंबित
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नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के संगठन द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में न्यायालयों में काम के बोझ पर चिंता जताते हुए कहा कि देश की विभिन्न अदालतों में 3.3 करोड़ मामले लंबित हैं।

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि इनमें से 2.84 करोड़ मामले अधीनस्थ अदालतों में दर्ज हैं। इसके अलावा उच्च न्यायालयों में 43 लाख और सुप्रीम कोर्ट में लगभग 58 हजार केस फैसले का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि न्याय की रक्षा के लिए भारत की न्यायपालिका को दुनिया भर में सम्मानित किया जाता है। ऐसे में देश में न्याय प्रणाली में देरी नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने न्याय प्रक्रिया में देरी के लिए बुनियादी ढांचे और अधीनस्थ अदालतों में खाली पड़े पदों सहित कई कारणों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि एक अपवाद की बजाय मानक के रूप में स्थगन की मांग करने की संस्कृति है। नई सोच धीरे-धीरे स्थगन पर हो रही है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए ईमानदार प्रयास कर रही है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि पूरी कानूनी बंधुता पूरी तरह से अपरिहार्य परिस्थितियों को छोड़कर स्थगन नहीं मांगने का संकल्प करेगी।

राष्ट्रपति ने न्याय प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए प्रौद्योगिकी के प्रयोग की पहल का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 2016 में हैदराबाद के उच्च न्यायालय में देश की पहली ई-कोर्ट की शुरुआत की गई थी और तब से ई-अदालतों का विचार सभी जगह फैला है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा युवा वकील तकनीकी रूप से सक्षम हैं, इसलिए उन्हें अदालतों में बहस करने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पुरानी अदालतों में युवा वकीलों के लिए रास्ता बनाना चाहिए।

Updated : 1 Sep 2018 4:14 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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