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हत्या का मामला : हाईकोर्ट ने सात दोषियों की मृत्युदंड की सजा को उम्रकैद में बदला

हत्या का मामला : हाईकोर्ट ने सात दोषियों की मृत्युदंड की सजा को उम्रकैद में बदला
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कोलकाता/स्वदेश वेब डेस्क। कलकत्ता हाईकोर्ट ने तीन महिलाओं को डायन बताकर पंचायत सभा में मौत के घाट उतारने के प्रकरण में सात दोषियों की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है। पश्चिम मेदिनीपुर की घटाल की अदालत ने मामले के 25 आरोपितों को दोषी करार देते हुए सात को फांसी की सजा सुनायी थी, जबकि 18 लोगों को आजीवन कारावास की सजा दी थी।

हाईकोर्ट की अवकाशकालीन बेंच ने रविवार को मामले की सुनवाई की। बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मृत्युदंड देने से अपराध करने वालों को मुक्ति मिल जाएगी। ऐसे अपराध के प्रति लोगों की सोच बदलने की जरूरत है। इसलिए मृत्युदंड के बजाय उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी जा रही है। जिन दोषियों की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदला गया है उनमें सनी मांडी, भाकू सिंह, रोबिन सिंह, मंगल सिंह, नूरा सिंह, समाई मांडी और काली सिंह शामिल हैं। ये सभी लोग जिले के दुबराजपुर ब्लॉक के हरिदासपुर गांव के रहने वाले हैं। दासपुर थाने की पुलिस ने इनके खिलाफ चार्जशीट पेश की थी।

यह है पूरा मामला

सोलह अक्टूबर 2012 में गांव में एक के बाद एक हुई कई लोगों की मौत के बाद ग्राम प्रधान थोबा सिंह के नेतृत्व में पंचायत सभा की गई थी। इसमें एक ही परिवार की तीन महिलाओं- संबरी सिंह, फुलमणि सिंह और सोमवारी सिंह को भरी सभा में पेड़ से बांधकर पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया गया था। सोमवारी सिंह के पति लक्ष्मीकांत सिंह को पंचायत में पेड़ में बांधकर रखा गया था। तीनों महिलाओं की मौत के बाद जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो लक्ष्मीकांत सिंह की शिकायत पर 60 लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई। जांच के बाद पुलिस ने 45 लोगों के खिलाफ चार्जशीट पेश की। इसमें से केवल 25 लोगों को गिरफ्तार किया जा सका है। मुख्य आरोपित थोबा सिंह समेत 20 आज भी फरार हैं। 25 आरोपितों में से 18 लोगों को पश्चिम मेदिनीपुर की घटाल की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा दी थी, जबकि सात लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। घटाल की अदालत की ओर से फांसी की सजा मिलने के बाद सातों दोषियों ने हाईकोर्ट में इसके खिलाफ याचिका लगाई थी।

Updated : 28 Oct 2018 4:54 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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