मीडिया की आंकड़ों की बाजीगरी पर मोदी सरकार का पलटवार
Swadesh Digital | 14 Jun 2018 8:49 PM GMT
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नई दिल्ली। मीडिया के कुछ हिस्सों में सरकारी आंकड़ों को गलत तरीके से लोगों के सामने पेश करने को लेकर केंद्र सरकार सख्त हुई है। केंद्र में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) ने सरकारी आंकड़ों के लेकर कई बातें स्पष्ट की हैं, जिससे लोगों तक ये जानकारी पहुंच सकें कि विरोधी राजनैतिक दल, चुनिंदा संगठन और मीडिया के कुछ हिस्सों में सरकार के आंकड़ों को कैसे तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया जा रहा है।
केंद्र सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) एवं औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आधार वर्षों को संशोधित कर 2011-12 और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आधार वर्ष को संशोधित कर 2012 कर दिया है। आईआईपी और सीपीआई के लिए वस्तुओं के समूहों (बास्केट) में संशोधन किया गया है, ताकि ऐसी वस्तुओं को हटाया जा सके जो अब प्रासंगिक नहीं हैं और ऐसी वस्तुओं को शामिल किया जा सके जो आधार वर्ष में पिछले संशोधन के बाद से ही प्रासंगिक हो गई हैं। राष्ट्रीय लेखा संबंधी अनुमानों के लिए नई सीरीज दरअसल पुरानी सिरीज की तुलना में एक संरचनात्मक पृथक्करण है।
सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) को भी संशोधित किया गया है और भारांक आरेख (डायग्राम) एवं संबंधित वस्तुओं के समूह में अब ऐसी नई वस्तुएं शामिल हैं जो वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिक हैं। इसके अलावा, संबंधित वस्तुओं के समूह (आइटम बास्केट) और डेटा के स्रोतों की नियमित समीक्षा के लिए एक व्यवस्था शुरू की गई है। पुनरावृत्ति आवास किराया सर्वेक्षण के तहत कवर होने वाली आवास इकाइयों की संख्या दोगुनी कर दी गई है, ताकि आवासों की प्रत्येक श्रेणी का बेहतर प्रतिनिधित्व संभव हो सके। रोजगार और बेरोजगारी संबंधी सूचनाओं का आकलन प्रत्येक पांच वर्षों में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) द्वारा कराए जाने वाले 'परिवारों के रोजगार एवं बेरोजगारी सर्वेक्षण' से किया जाता है। इस दिशा में कई पहल की गईं जिनमें परिवार अवधारणा का उपयोग करते हुए श्रम ब्यूरो के वार्षिक रोजगार एवं बेरोजगारी सर्वेक्षण भी शामिल हैं।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) उन क्षेत्रों (सेक्टर) में अर्थव्यवस्था के बेहतर आकलन के लिए नए सर्वेक्षण शुरू करने पर भी विचार कर रहा है जो तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और अर्थव्यवस्था के आकलन में योगदान दे रहे हैं। सेवा क्षेत्र के उद्यमों का वार्षिक सर्वेक्षण, गैर निगमित क्षेत्र उद्यमों का वार्षिक सर्वेक्षण, टाइम यूज सर्वे (टीयूएस) और आर्थिक गणना भी इन सर्वेक्षणों में शामिल हैं।
Updated : 15 Jun 2018 2:24 AM GMT
Tags: #Media #NarendraModi #Economy
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