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जवानों के बेहतरीन कार्य से कम हुई नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या

प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को समर्पित किया राष्ट्रीय पुलिस स्मारक और संग्रहालय

जवानों के बेहतरीन कार्य से कम हुई नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या
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Image Credit : ANI Tweet

नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। आजादी के बाद से पुलिस जवानों द्वारा किए गए सर्वोच्च बलिदान के सम्मान में रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश को राष्ट्रीय पुलिस स्मारक (एनपीएम) और संग्रहालय समर्पित किया। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर शहीद स्मारक के निर्माण में हुई देरी के लिए पूर्ववर्ती सरकार पर जमकर निशाना साधा। साथ ही उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर शहीद जवानों को सम्मानित करने की घोषणा की।

रविवार को जवानों और शहीदों के परिजनों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शहीद और साहसी पुलिसकर्मियों को याद करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि देश में प्राकृतिक आपदा और विस्तार की स्थिति में एनडीआरएफ से भी पहले राज्य पुलिस के जवान और अलग-अलग बलों के जवान पहुंचते हैं। इनके बिना एनडीआरएफ की कल्पना नहीं की जा सकती। आपदा प्रबंधन में दूसरों का जीवन बचाने वालों के सम्मान के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर सम्मान दिया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने नक्सल प्रभावित जिलों और उत्तर पूर्व के विकास में जवानों के काम की सराहना करते हुए कहा के नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या कम हो रही है। यह जवानों के बेहतरीन कार्य का परिणाम है। ऐसे क्षेत्रों में शांति स्थापना की दिशा में जवान तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। पीएम मोदी ने जवानों को उनके गांव और स्कूल जहां उन्होंने पढ़ाई की, ऐसे स्थानों पर शहीदों की प्रतिमा लगाने का भी आह्वान किया। उन्होंने राष्ट्रीय स्मारक के 1994 में प्रक्रिया शुरू होने के बाद अब तक कार्य पूरा नहीं होने को लेकर पिछली सरकारों की आलोचना करते हुए कहा कि 2014 में एनडीए सरकार बनने पर इस स्मारक के लिए बजट आवंटित किया गया, लेकिन अच्छे काम करने के लिए शायद ईश्वर ने उन्हें ही चुना है।

प्रधानमंत्री ने सवालिया लहजे में कहा कि आखिर इस काम को पूरा करने में इतना समय कैसे लगा? उन्होंने स्मारक के काम को धरातल पर उतारने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की सरकार और स्मारक का शिलान्यास करने वाले पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की भी सराहना की। मोदी ने कहा कि जवानों की सजगता से असामाजिक तत्वों को निराशा हाथ लग रही है। जवानों को कामकाज में तकनीक के इस्तेमाल करने का आह्वान किया। अफवाह और साइबर क्राइम को बड़ी चुनौती बताया।

कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू और हंसराज गंगाराम अहिर, केंद्रीय मंत्री सत्यपाल मलिक, विजय गोयल और हरदीप सिंह पुरी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी भी मौजूद रहे। समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जनरल सेल्यूट दिया गया। इसके बाद प्रधानमंत्री सहित तमाम अतिथियों ने स्मारक पर शहीदों को पुष्प चक्र चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर इंटेलिजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर राजीव जैन ने कहा कि 1959 में चीनी सैनिकों से लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स की लड़ाई में शहीद हुए पुलिस जवानों की याद में हर साल 21 अक्टूबर को पुलिस स्मारक दिवस मनाया जाता है। पिछले एक साल में शहीद हुए जवानों का उन्होंने संक्षिप्त ब्यौरा भी रखा।

बता दें कि यह स्मारक दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में शांति पथ के उत्तरी छोर पर 6.12 एकड़ भूमि पर बनाया गया है। यह पुलिस स्मारक देश के सभी राज्य व केंद्र शासित प्रदेश के पुलिस बलों और केंद्रीय पुलिस संगठनों का प्रतिनिधित्व करता है। 1947 से अभी तक 34,844 पुलिस जवान शहीद हो चुके हैं, जिनमें 424 पुलिस जवानों ने इसी वर्ष अपनी शहादत दी है। इनमें से कई बहादुर जवानों ने कश्मीर, पंजाब, असम, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम जैसे विभिन्न क्षेत्रों एवं देश के वाम चरमपंथ क्षेत्रों में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपनी जानें गवाई हैं।

एनपीएम की केंद्रीय मूर्ति ग्रेनाइट के एक टुकड़े से बनी केंद्रीय प्रस्तर प्रतिमा है जो 30 फीट ऊंचा पत्थर का खंभा है। इसका वजन 238 टन है। इसका वजन और रंग सर्वोच्च बलिदान की गंभीरता का प्रतीक है। सभी 34,844 पुलिस जवानों के नाम शूरता की दीवार पर ग्रेनाइट पर उत्कीर्ण हैं। इस मौके पर राष्ट्र के नाम एक पुलिस संग्रहालय भी समर्पित किया गया। इसमें वह कलाकृतियां एवं समय-बिन्दु शामिल हैं जिन्होंने भारतीय पुलिस के इतिहास को आकार दिया।

Updated : 22 Oct 2018 7:48 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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