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राहुल के लिए संघ का न्योता स्वीकारना कठिन !

राहुल के लिए संघ का न्योता स्वीकारना कठिन !
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का 17 से 19 सितम्बर तक वैचारिक कुंभ हो रहा है। इस आयोजन में पूज्यनीय सरसंघचालक डा. मोहन राव भागवत प्रबुद्धजनों से चर्चा करेंगे। 'भविष्य का भारत-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' विषय पर हो रहे तीन दिवसीय आयोजन में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी को न्योता देने के सवाल पर संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार की तरफ से स्थिति स्पष्ट की गई है। उन्होंने कहा है कि संघ तो सभी को आमंत्रित कर रहा है जिसे आना है वह आए। लेकिन इससे बड़ा सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी संघ के न्योते पर आएंगे? संघ की आलोचना कर कांग्रेस को ऊर्जा देने की कोशिश में लगे राहुल गांधी इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि संघ से सामना करना आसान काम नहीं है।

दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित तीन दिवसीय इस बौद्धिक चर्चा में संघ देश के सभी विचारधारा वाले लोगों के साथ अपनी वैचारिकता और कार्यशैली को साझा करेगा। संघ के बारे मेें जिस तरह वास्तविकता से परे उस पर फासिस्ट होने के मनगढ़ंत आरोप लगते रहे हैं, उसे देखते हुए संघ को अपनी तस्वीर रखने की यह कोशिश इस मंच से रंग ला सकती है और चुनौती भी होगी, उन लोगों के लिए जो हमेशा विरोध के लिए संघ का विरोध करते रहते हैं। तभी संघ का कहना है कि सभी राजनीतिक दलों को मंच पर आने का न्योता दिया जाएगा, हिम्मत है तो करिए शिरकत। खासकर धर्मनिरपेक्षता की आड़ लेकर तथाकथित लोगों द्वारा लगातार संघ को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की जाती रही है। संघ द्वारा सही तस्वीर पेश किए जाने से ऐसा वर्ग बेनकाब हो जाएगा। संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार की तरफ से पत्रकारवार्ता करके यह बताया जा रहा था कि समसामयिक मुद्दों पर सरसंघचालक डा. मोहन भागवत सबके सामने संघ के विचार रखेंगे। अरुण कुमार का कहना है कि इस बैठक में समाज के हर क्षेत्र के लोगों को बुलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम सभी राजनीतिक पार्टियों को न्योता देंगे। उनके इस कथन के बाद अचानक प्रश्न उछाला गया कि क्या राहुल गांधी को भी न्योता दिया जाएगा? इस सवाल के जवाब में अरुण कुमार ने साफ कहा कि उन्हें भी बुलाने पर विचार किया जाएगा। इसके बाद माकपा नेता सीताराम येचुरी को लेकर भी यही सवाल किया गया और उनके बारे में भी इसी तरह का जवाब दिया गया। इस सवाल ने राहुल गांधी को तमाम सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। यदि संघ की तरफ से न्योता मिला तो क्या राहुल गांधी और येचुरी संघ के मंच पर आएंगे। सबसे बड़ा मसला ये है कि राहुल गांधी के लिए न्योता स्वीकार करना बहुत मुश्किल होगा। क्योंकि कांग्रेस को मजबूत करने के लिए वह लगातार संघ को आरोपों के घेरे मे लाते रहे हैं। ऐसे में संघ के साथ मंच साझा करने से उनका राजनीतिक एजेंडा ध्वस्त होने का खतरा है। यदि वह संघ के मंच पर आ गए तो उसके बाद भगवा, आतंकवाद जैसे आरोप लगाने का मुद्दा उनके हाथ से निकल जाएगा। हिन्दू राष्ट्र को लेकर कांग्रेस नेताओं की तरफ से फैलाया जा रहा भ्रम का एजेंडा पेश करना कठिन हो जाएगा। इसलिए सवाल उन्हें न्योता देने से ज्यादा अहम ये है कि यदि न्योता मिला तो क्या राहुल गांधी उसे स्वीकार कर पाएंगे।

Updated : 28 Aug 2018 5:19 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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