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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के हालात पर की उच्चस्तरीय वार्ता

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के हालात पर की उच्चस्तरीय वार्ता
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-पाकिस्तान के घुसपैठ के इरादों और अमरनाथ यात्रियों पर हमले की आशंका पर आला अधिकारियों की बैठक में राज्य की आंतरिक और वाह्य सुरक्षा की स्थिति की समीक्षा और उपायों पर किया विचार-विमर्श

नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की ओर से घुसपैठियों और अपने विशेष दस्तों को प्रवेश कराने और अमरनाथ यात्रा के श्रद्धालुओं को निशाना बनाने की साजिश के मद्देनजर वरिष्ठ सुरक्षा और खुफिया अधिकारियों के साथ बैठक में महत्वपूर्ण वार्ता की। इस दौरान राज्य की आंतरिक और वाह्य सुरक्षा के हालात की समीक्षा के साथ किसी भी चुनौती से निपटने के उपायों पर चर्चा हुई।

गृहमंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, केंद्रीय गृहसचिव राजीव गौबा और इंटेलीजेंस ब्यूरो प्रमुख अरविंद कुमार और खुफिया एजेंसी रॉ प्रमुख सामंत कुमार गोयल से राज्य में के मौजूदा हालात पर चर्चा की। गृह मंत्रालय में जम्मू-कश्मीर के मामलों को देखने वाले अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश कुमार ने गृहमंत्री को राज्य की नवीनतम स्थिति से अवगत कराया।

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से अमरनाथ यात्रियों को खतरे को ध्यान में रखते हुए केंद्र ने पिछले दिनों बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की अतिरिक्त तैनाती की है। ऐतिहातन अमरनाथ यात्रियों, पर्यटकों और दूसरे राज्य के विद्यार्थियों को जल्द से जल्द वापस लौटने की सलाह जारी की गई थी। इन लोगों को हवाई सेवाओं और रेलवे के जरिए राज्य से बाहर भेजा जा रहा है।

सुरक्षा बलों ने शनिवार को नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान के आतंकवादियों की घुसपैठ कराने के प्रयास को विफल करते हुए दुश्मन पर करारी चोट की है। सेना के सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान के सीमा कार्यदल (बीएटी) के जवानों और आतंकवादियों ने करन सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश की जिसे नाकाम कर दिया गया। सेना की कार्रवाई में बीएटी के पांच जवान मारे गए। सेना ने पाकिस्तान से कहा कि वह सफेद झंडा लहराते हुए आए और मृतकों के शव ले जाए और उन्हें दफन करे।

जम्मू-कश्मीर के दोनों प्रमुख क्षेत्रीय दलों नेशनल कान्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने राज्य के बारे में केंद्र सरकार की ओर से कोई बड़ा फैसला किए जाने की आशंका व्यक्त की है। नेशनल कान्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार को आगाह किया है कि वह राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35-ए को हटाने या कमजोर बनाने का कोई प्रयास न करे। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि ऐसा किया गया तो राज्य के हालात बेकाबू हो जाएंगे।

महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार के किसी संभावित कदम के मद्देनजर राज्य के विभिन्न दलों के साथ विचार-विमर्श की पहल की है, ताकि कोई साझा रवैया अपनाया जा सके। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस बीच एक ट्वीट में कहा कि राज्य की क्रिकेट टीम के कोच इरफान पठान और कुछ अन्य क्रिकेट खिलाड़ियों को भी राज्य से बाहर जाने के लिए कहा गया है। महबूबा ने कहा कि अमरनाथ यात्रियों, पर्यटकों, कामगारों, छात्रों और क्रिकेट खिलाड़ियों को राज्य छोड़ने के लिए कहा जाना जानबूझकर अफरा-तफरी फैलाने की कोशिश है। इससे राज्य में सुरक्षा का माहौल नहीं बनेगा। उन्होंने केंद्र सरकार पर कटाक्ष किया-'कहां गई इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत'।

महबूबा ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार पुराने मामलों के जरिए राज्य के प्रमुख नेताओं को डराने-धमकाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने श्रीनगर पुलिस के भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो के एक पत्र का हवाला दिया जिसमें जम्मू-कश्मीर बैंक में की गई कुछ नियुक्तियों के बारे में उनसे जवाब तलब किया गया है। महबूबा ने कहा कि इस तरह के हथकंडे काम नहीं आएंगे। इसके पहले महबूबा ने भ्रष्टाचार के एक मामले में पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला को चंडीगढ़ तलब किए जाने पर भी आपत्ति जताई थी।

इस बीच भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी शाह फैजल ने लोगों से कहा कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें। एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि मैं राज्य सचिवालय के बाहर खड़ा हूं और वहां जम्मू-कश्मीर का झंडा और राष्ट्रीय ध्यव तिरंगा शान से फहरा रहा है।(हि.स.)

Updated : 8 Aug 2019 2:42 PM GMT
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