गूगल ने आज अपना डूडल 'इस्मत आपा' के नाम किया

गूगल ने आज अपना डूडल इस्मत आपा के नाम किया
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नई दिल्ली। बेबाक लेखन के लिए प्रसिद्ध उर्दू लेखिका इस्मत चुगतई की 107वीं जयंती पर गूगल ने डूडल बनाकर याद किया है।

गूगल ने अपने डूडल में इस्मत चुगतई को नीले बॉर्डर की सफेड साड़ी पहने आंखों पर चश्मा लगाए और लिखते हुए दिखाया है।

इस्मत चुगतई का जन्म 21 अगस्त 1915 को उत्तर प्रदेश के बदायूं में हुआ था। इस्मत अपने मां-बाप की नौवीं संतान थीं। इस्मत बचपन से ही लिखने-पढ़ने की शौकीन थीं| इसलिए उन्होंने बहुत ही कम उम्र में लिखना शुरू कर दिया था| इसके लिए उन्हें अपने परिवार वालों से विरोध का भी सामना करना पड़ा| इसके बावजूद उन्होंने लिखना जारी रखा। इस्मत ने महिला सश्कितकरण और सेक्सुलियटी पर खुलकर कई लेख लिखे।

1942 में आई ''लिहाफ'' कहानी उनकी सबसे चर्चित और विवादित रही। उसको लेकर उन पर लाहौर कोर्ट में केस भी चला जिसमें उनको जीत हासिल हुई। ''लिहाफ'' कहानी महिला समलैंगिकता पर आधारित है। इस्मत चुगतई को साहित्य में योगदान के लिए उन्हें 1976 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

1998 में आई दीपा मेहता की फिल्म 'फायर' इस्मत चुगतई की लिहाफ का सिनेमाई रूपांतरण मानी जाती है। इस फिल्म में शबाना आजमी और नंदिता दास ने मुख्य भूमिका निभाई थी।

इस्मत अपने लेखन में अश्लीलता को लेकर हमेशा विवादों में भी रहीं क्योंकि उनकी कहानियों में प्रेम संबंधों को चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता रहा। इसके अलावा 'काफिर' और 'ढीठ' जैसी उनकी कहानियों को ईशनिंदा से जोड़ कर देखा गया। कट्टरपंथियों ने उन पर कुरान का अपमान करने का आरोप लगाया।

बेबाक और निडर तरीके से अपने विचारों को रखने वाली लेखिका इस्मत ने 24 अक्टूबर, 1991 को दुनिया से अलविदा कह दिया।

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