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टीडीपी सांसदों ने उपराष्ट्रपति से की मुलाकात, पूर्व साथियों के भाजपा में शामिल होने के फैसले को दी चुनौती
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नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी के पांच सांसदों (दो राज्यसभा सदस्य और तीन लोकसभा सदस्य) ने अपने चार पूर्व साथी सांसदों के दलबदल को चुनौती देने के लिए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मुलाकात की। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, टीडीपी के पांच सासंदों ने उपराष्ट्रपति से मिलकर अपने पूर्व साथियों के दलबदल कर बीजेपी में जाने के फैसले को चुनौती दी है। बता दें कि बीजेपी में जाने से पहले राज्यसभा के टीडीपी सांसद वाईएस चौधरी, सीएम रमेश, टीजी वेंकटेश और सांसद जीएम राव ने उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू से मिलकर कल बाजपा के साथ जाने के फैसले से अवगत कराया था। सांसद वाई. एस. चौधरी, सी.एम. रमेश, टी.जी. वेंकटेश और जी. मोहनराव ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू से मुलाकात की थी और तेदेपा से अपने इस्तीफे भी सौंपे थे। इसके बाद बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हो गए थे।
उपराष्ट्रपति से मिलने के बाद टीडीपी के जयदेव गल्ला ने कहा कि कल TDP के चार राज्यसभा सदस्यों ने एक पत्र दिया था जिसमें कहा गया था कि वे राज्यसभा में विधायक दल का विलय कर रहे हैं और चूंकि उनके पास दो तिहाई बहुमत है, इसलिए इसे बिना किसी अयोग्यता के स्वीकार किया जाना चाहिए। मगर कानून को जानने और समझने के बाद हम यह कह सकते हैं कि किसी राजनीतिक दल का विलय केवल संगठनात्मक स्तर पर ही होना है। यह विधायक दल के स्तर पर नहीं हो सकता। चूंकि TDP और BJP ने संगठनात्मक स्तर पर विलय नहीं किया है, इसलिए यह कानूनी विलय नहीं है।
दरअसल, गुरुवार को राज्यसभा में तेलगू देशम पार्टी (तेदेपा) के चार सदस्यों ने अपनी पार्टी से अलग होकर उच्च सदन यानी राज्यसभा में बीजेपी के साथ जाने का फैसला कर लिया। राज्यसभा के टीडीपी सांसद वाईएस चौधरी, सीएम रमेश, टीजी वेंकटेश, बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हुए। टीडीपी के राज्यसभा सांसद जीएम राव औपचारिक रूप से बाद में ज्वाइन करेंगे क्योंकि अभी वह अस्वस्थ हैं।
दरअसल, राज्यसभा में छह सदस्यों वाली तेदेपा के चार सदस्यों ने अलग गुट बनाकर भाजपा का समर्थन करने का ऐलान किया था। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, राज्यसभा के टीडीपी सांसदों- वाईएस चौधरी, सीएम रमेश, टीजी वेंकटेश और जीएम राव ने गुरुवार को बीजेपी के साथ तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के विधानमंडल दल का विलय करने का प्रस्ताव पारित किया था।
उल्लेखनीय है कि चार सदस्यों का समर्थन मिलने से उच्च सदन में बहुमत के संकट से जूझ रही भाजपा को राहत मिलेगी। भाजपा की अगुवाई वाले राजग के पास राज्यसभा में फिलहाल बहुमत नहीं है। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की अध्यक्षता वाली तेदेपा के राज्यसभा में छह सदस्य थे और दलबदल विरोधी कानून के मुतबिक किसी दल से अलग हुये नये गुट को तभी मान्यता मिलती है, जबकि उसके दो तिहाई सदस्य इस गुट में शामिल हों। इस तरह से बीजेपी में शामिल हुए चारों सासंदों का पक्ष मजबूत है। राज्यसभा की कुल सदस्य संख्या 245 है। उच्च सदन में सर्वाधिक 71 सदस्यों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है।
इस पर टीडीपी के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू ने कहा था कि हमने भाजपा के साथ केवल विशेष दर्जे की मांग और राज्य के हितों के लिए लड़ाई लड़ी। हमने टीडीपी को कमजोर करने के भाजपा के प्रयासों की निंदा करते हुए विशेष दर्जा के लिए केंद्रीय मंत्रियों के पद को त्याग दिया। पार्टी के लिए संकट कोई नई बात नहीं है। नेताओं और कैडर को घबराने की कोई जरूरत नहीं है।