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गोबर की खाद से बढ़ती है जमीन की उर्वरा शक्ति

गोबर की खाद से बढ़ती है जमीन की उर्वरा शक्ति
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नई दिल्ली। खेतों से अच्छी फसल लेने के लिए खेत की सेहत का खासा ध्यान रखना चाहिए। ऐसे में जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए। वर्मी कम्पोस्ट पद्धति से कम समय में जैविक खाद तैयार किया जा सकता है।

क्या है वर्मी कम्पोस्ट

वर्मी-कम्पोस्ट को वर्मीकल्चर या केंचुआ पालन भी कहते हैं। केंचुओं के मल से तैयार खाद ही वर्मी कम्पोस्ट कहलाता है। इस पद्धति से कम समय में जैविक खाद तैयार किया जा सकता है।

दिल्ली के राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर में आयोजित 'कृषि विज्ञान कांग्रेस सम्मेलन' में शामिल होने आए पद्मावती सिड्स के एक वरिष्ठ अधिकारी चंद्रकांत दोडके ने शनिवार को 'हिन्दुस्थान समाचार' से बातचीत करते हुए कहा कि वर्मी कम्पोस्ट, सामान्य कम्पोस्टिंग विधि से एक तिहाई समय (2 से 3 माह) में तैयार हो जाता है। यह खाद जैविक तरीके से खेती करने के लिए बहुत उपयोगी है।

दोडके ने कहा कि किसान अपनी फसल में रसायनिक खाद का प्रयोग करते हैं जो कि जैविक खाद की तुलना में काफी महंगा पड़ता है और जमीन की उर्वरा शक्ति को भी खत्म करता है। ऐसे में किसानों को चाहिए कि वे खेतों में गोबर की खाद ही डालें। उन्होंने कहा कि किसान कुछ आसान विधियों से वर्मी कम्पोस्ट घर पर ही तैयार कर सकते हैं।

दोडके ने कहा कि उनकी कम्पनी ने किसानों के लिए केंचुए का कल्चर तैयार किया है। इस कल्चर को गोबर में डालने से केंचुए पैदा हो जाते हैं। किसान आसानी से गोबर की खाद बना सकें इसके लिए पद्मावती सिडस् ने एक बेड तैयार किया है। इस बेड को खास तरीके से तैयार किया गया है। इसमें गोबर व कृषि अवशेष डालना होता है। उसके बाद जब बेड में उचित मात्रा में गोबर हो जाए तो एक पैकेट केंचुआ कल्चर डालना होगा। इस एक पैकेट से करीब 20 किलो केंचुए तैयार होंगे। जो दो से तीन महीने में 1 टन खाद तैयार करेंगे। बेड में तापमान व नमी को कंट्रोल करने के लिए उचित मात्रा में पानी का छिड़काव करते रहना होगा।

Updated : 23 Feb 2019 8:47 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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