Home > देश > चुनावी बॉन्ड से पार्टीयों के फंड में आएगी पारदर्शिता

चुनावी बॉन्ड से पार्टीयों के फंड में आएगी पारदर्शिता

चुनावी बॉन्ड से पार्टीयों के फंड में आएगी पारदर्शिता
X

नई दिल्ली। सरकार ने कहा है कि चुनावी बॉन्ड की योजना से राजनैतिक दलों को चंदा देने के मामले में पारदर्शिता आएगी। कैश में दान लेने के मुकाबले यह व्यवस्था ज्यादा पारदर्शी और जवाबदेह है। सुप्रीम कोर्ट में दायर शपथ पत्र में केंद्र सरकार ने यह बात कही है। केंद्र सरकार ने यह शपथ पत्र कम्युनिस्ट पार्टी और एडीआर की जनहित याचिकाओं के जवाब में दायर किया है। इसमें चुनावी बांड की योजना की वैधता को चुनौती दी गई है। याचिकार्ताओं ने कहा है कि यह योजना अपारदर्शी फंडिंग सिस्टम है जिस पर कोई निगरानी नहीं है।

चुनावी बांड सरकार ने फाइनेंस ऐक्ट-2017 के जरिये रिजर्व बैंक ऐक्ट-1937, जनप्रतिनिधित्व कानून-1951, आयकर ऐक्ट-1961 और कंपनी ऐक्ट में किए गए संशोधनों के बाद शुरू किए थे। यह योजना 2 जनवरी 2018 से लागू है। भारतीय स्टेट बैंक के जरिये मिलने वाले इन बांड को कोई भी व्यक्ति खरीद सकता है और इन्हें राजनैतिक दल को जारी कर सकता है। राजनैतिक दल को इसे 15 दिनों के अंदर भुनाना होगा। इसमें देने वाले की पहचान बैंक के पास रहेगी जो उसे गुमनाम रखेगा।

दानकर्ता जो इन बॉन्ड को खरीदेगा उसकी बैलेंस शीट में यह दान प्रदर्शित होगा। वहीं, इन बांड के कारण दानकर्ता को बैंकिंग सिस्टम के जरिये दान देने की प्रवृत्ति बढ़ेगी। केंद्र ने कहा कि ये बांड सिर्फ स्टेट बैंक से ही खरीदे जा सकेंगे जो जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्तूबर में सिर्फ 10 दिनों के लिए ही बिक्री के लिए खुलेंगे। इनकी राशि 1000, 10,000, एक लाख, 10 लाख और एक करोड़ रुपये होगी। दानकर्ता का नाम इन बॉन्ड पर नहीं होगा। इसका मूल्य राजनैतिक दल की स्वैच्छिक स्रोतों से आई आय के रूप में दिखाया जाएगा। केंद्र सरकार ने कहा कि हर राजनैतिक दल को चुनाव आयोग के समक्ष रिटर्न दाखिल करता है कि आय कहां से प्राप्त हुई।

याचिका में आरोप लगाया गया था कि बॉन्ड में बरती गई गोपनीयता से कॉरपोरेट हाउसों को फायदा होगा, क्योंकि इसमें बांड प्राप्त करने वाले राजनैतिक दलों के नाम का खुलासा नहीं करने का प्रावधान है। याचिकाकर्ता को आशंका है कि राज्य की सरकारी नीतियों में कॉरपोरेट का निजी हित ऊपर चला जाएगा और आम जनता का हित दब जाएगा।

याचिका का विरोध करते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि बांड से एक पारदर्शी व्यवस्था बनेगी। जिसकी एक वैध केवाईसी (ग्राहक से जुड़ी जानकारियां जैसे पैन, आधार, पता) होगी जिसका ऑडिट किया जा सकेगा। इसके अलावा खरीदने की एक छोटी अवधि मुहैया कराना और उसे बहुत कम समय में भुनाने की अवधि के कारण इनका दुरुपयोग नहीं हो सकेगा।

-15 दिनों के अंदर राजनीतिक दलों के लिए बॉन्ड को भुनाना अनिवार्य है।

-2 जनवरी 2018 को इस योजना को केंद्र सरकार ने लागू किया है।


Updated : 17 March 2019 6:01 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top